उच्च मनोबल से ही संभव है तपस्या

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उच्च मनोबल से ही संभव है तपस्या

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में शान्ति निकेतन सेवा केन्द्र में साध्वी चरितार्थप्रभाजी एवं साध्वी प्रांजलप्रभाजी के सान्निध्य में मासखमण तप अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। सुशीला देवी रामपुरिया ने 29 दिनों की तपस्या, विनोद कुमार आंचलिया एवं उनकी धर्मपत्नी अंजू देवी आंचलिया ने सजोड़े 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
तपस्या की अनुमोदना करते हुए साध्वी चरितार्थप्रभा जी ने कहा कि गंगाशहर में एक नया इतिहास बना है- पति-पत्नी ने सजोड़े एक साथ 31 दिनों की तपस्या की है और एक साथ तीन मासखमण तप की अनुमोदना की जा रही है। तपस्या उच्च मनोबल से ही संभव है। तेजस शरीर ओर कार्मण शरीर तपता है, तब बहुत बडी कर्म निर्जरा होती है और आत्मा मोक्षगामी बनती है, पाप कर्मों से हल्की होती है। साध्वीश्री श्रावक-श्राविकाओं को होली चातुर्मास तक सत्ताईस मासखमण तप करने की प्रेरणा प्रदान की। इस अवसर पर साध्वी प्रांजलप्रभा जी ने कहा कि आज गंगाशहर के चारों तीर्थों साधु-साध्वियों, श्रावक-श्राविकाओं में अपार खुशियाँ हैं। उपवास थैरेपी से बड़ी-बड़ी बीमारियां ठीक हो जाती है। आहार संयम की साधना से आयु लम्बी होती है। साध्वी श्री ने आगे कहा कि आत्म शोधन की प्रक्रिया में तप के द्वारा परिमार्जन होता है। संवर आने वाले कर्म परमाणुओं को रोकता है। संचित कर्म परमाणुओं का शोधन तप के द्वारा होता है। इसलिए तप मुक्ति का पथ है। कार्यक्रम में मंगलाचरण कमल भंसाली की गायक टीम ने किया।
साध्वीवृंद ने सामूहिक गीतिका का संगान किया। आंचलिया परिवार व रामपुरिया परिवार की ओर से तप अनुमोदना में प्रस्तुति दी गई। सैंट्रल जेल अधीक्षक बीकानेर सुमन मालीवाल ने तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि जैन धर्म, अहिंसा और तपस्या से पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। गुरूदेव से प्राप्त संदेश का वाचन जैन लूणकरण छाजेड व अमरचन्द सोनी ने किया। तेरापंथी सभा से शान्तिलाल पुगलिया, तेयुप से महावीर फलोदिया, महिला मण्डल से अंजु ललवाणी ने तपस्या की अनुमोदना की। महिला मण्डल द्वारा आयोजित खोजो ओर पाओ प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किये। सौरभ आंचलिया ने मुनि सुमति कुमार जी के संदेश का वाचन किया व मंजु देवी आंचलिया ने मुनि रश्मि कुमार जी द्वारा प्रदत संदेश का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री जतन लाल संचेती ने किया।