स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन
मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा सभा द्वारा किया गया। मुनिश्री ने कहा- शरीर धर्म-साधना का नहीं अपितु समग्र साधना का प्रमुख कारण है। स्वास्थ्य से ही साधना संभव है। आरोग्य से बढ़कर कोई लाभ नही है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। शरीर को स्वस्थ रखने में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। तामसिक, राजसिक भोजन से बचना चाहिए। सात्विक भोजन भी परिमित हितकारी, स्वास्थ्य वर्धक होना चाहिए। शरीर को स्वस्थ रखने में हमारी दिनचर्या भी निमित्त होती है। जो समय पर सोता है, समय पर भोजन करता है, योगासन, ध्यान आदि का क्रम रखता है उसका शरीर स्वस्थ रहता है।
शरीर व मन को स्वस्थ रखता है- हमारा भाव। भाव सकारात्मक हो तो शरीर व मन स्वस्थ रहता है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण से हुआ। मुख्य वक्ता डा. धीरज मोठी ने 'आर्थराइटिस से कैसे बचें' विषय पर वर्तमान जीवन शैली से उत्पन्न आर्थराइटिस की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उसके समाधान सुझाये। स्वस्थता के लिए परिश्रम, घूमना, धूप सेवन, रात्रि भोजन त्याग व पोस्चर सही होना जरूरी है। बासी भोजन, फास्ट-फूड, जंक फूड से बचना चाहिए। स्वागत मनोज कोचर ने तथा कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया।