महाश्रमण शासनकाल में बन रहे हैं तपस्या के कीर्तिमान
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में मुनि नमिकुमार जी ने 51 दिन की तपस्या के पारणे के 21 दिन बाद ही 27 दिन की तपस्या कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। मुनि कमल कुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि भैक्षव शासन जयवंता शासन है। इस धर्मसंघ में समय-समय पर अनेक तपस्वी साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाएं हुए हैं, जिन्होंने तपस्या करके अपने आत्म कल्याण के साथ धर्म संघ की प्रभावना भी की है।
वर्तमान में भी तपस्या का क्रम अनवरत चल रहा है। परंतु साढे सात महीने में 16, 18, 19, 51 और 27 की तपस्या करने वाले वर्तमान समय में केवल तेरापंथ धर्म संघ में ही नहीं समग्र जैन समाज में भी एक मात्र मुनि नमिकुमार जी के अलावा सुनने देखने को नहीं मिलते। ये तपस्या भी एक जगह बैठकर नहीं, चलते-फिरते, विहार करते हुए करते हैं। आचार्य श्री महाश्रमण जी के शासनकाल में नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। उनमें आचार्य प्रवर के ही कर कमरों से दीक्षित मुनि नमिकुमार जी ने तपस्या का अंबार लगा दिया है। एक से 16 तक, 25 से 38 तक की तब की लड़ी के अतिरिक्त 18, 19, 20, 27 आदि तपस्या तीन बार, 31 की तपस्या दो बार, 62 दिन का प्रलम्ब तब एक बार करके अपनी शक्ति का परिचय दिया है, यह स्तुत्य ही नहीं प्रशंसनीय भी है।
मुनि श्री ने मुनि नमिकुमार जी के लिए तीन गीतों का निर्माण कर संगान किया। मुनि नमिकुमार जी ने गुरुदेव श्री महाश्रमण जी के गुणगान करते हुए अपने अग्रगण्य मुनि कमल कुमार जी के प्रोत्साहन एवं सहयोग की प्रशंसा की। मुनि अमन कुमार जी एवं मुनि मुकेश कुमार जी ने अपने उन्नत भावों से तपस्वी मुनिश्री का वर्धापन किया। भाई-बहनों ने सामायिक के तेलों के साथ उपवास, बेला, तेला, तपस्याओं आदि का संकल्प कर वातावरण को तपस्यामय बना दिया।