समण संस्कृति, संकाय द्वारा खान्देश आंचलिक कार्यशाला संपन्न

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समण संस्कृति, संकाय द्वारा खान्देश आंचलिक कार्यशाला संपन्न

साध्वी प्रबलयशाजी के सान्निध्य में जैन विद्या को घर-घर पहुंचाने के उद्देश्य से समण संस्कृति संकाय कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। स्वागत गीत की प्रस्तुति सुनिता चोरडिया ने अपनी टीम के साथ दी। वीणा छाजेड अपने वक्तव्य से सभी का स्वागत किया। साध्वी प्रबलयशाजी ने अपने उद्बोधन में जैन विद्या के प्रचार प्रसार हेतु आह्वान किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष पवन सामसुखा ने अपने विचार रखे। डॉ. विजय संचेती ने जैन विद्या एवं समण संस्कृति संकाय के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी सौरभप्रभाजी एवं साध्वी सुयशप्रभाजी ने मधुर गीतिका का संगान किया। प्रेमलता सिसोदिया, विमला डागलिया ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन राजू अनूप सेठिया ने किया।
द्वितीय चरण में चौबीस तीर्थंकरों पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान प्रभा सुराणा, द्वितीय स्थान संगीता सूर्या, तृतीय स्थान विमला डागलिया को मिला। सभी प्रतियोगियों को पारितोषिक द्वारा सम्मानित किया गया। आंचलिक संयोजिका विदर्भ, सरोज भंडारी ने अपनी भावना रखी। जैन विद्या प्रशिक्षिका अर्पिता सेठिया ने कार्यक्रमों की जानकारी दी। आगम संयोजिका उमा सांखला ने आगम की विशेषता बताई। साक्री केंद्र व्यवस्थापिका जोशीला पगारीया ने 2000 फार्म भरवाने का संकल्प किया। उमेश सेठिया ने संबोधि एप पर आवेदन भरने की तथा टेक्नोलॉजी की विस्तृत जानकारी दी। खान्देश आंचलिक संयोजिका वीणा छाजेड़ द्वारा भूसावल केन्द्र व्यवस्थापक के पद पर पंकज छाजेड़ की नियुक्ति की गई। प्रशिक्षिका, उपासिका बहनों तथा केन्द्र व्यवस्थापिकों का सम्मान किया गया। मीना छाजेड, रोनक चौरडिया, अपेक्षा सुराणा का विशेष श्रम रहा। इस कार्यशाला का नियोजन वीणा छाजेड़ (आंचलिक संयोजिका खान्देश) ने किया। जिसमें विशेष योगदान भारती श्यामसुखा (केन्द्र व्यवस्थापिका) राजू अनूप सेठिया (सह केन्द्र व्यवस्थापिका) ने दिया।