मुरझाते रिश्तों को संभालने के लिए समय निकालें

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मुरझाते रिश्तों को संभालने के लिए समय निकालें

श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में मुनि सुधाकरकुमार जी के सान्निध्य में 'रिश्तों की डोर, ना हो कमजोर' विषय पर भव्य सेमिनार का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर के तत्वावधान में किया गया। मुनिश्री ने उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा आज छोटी-छोटी बातों पर तकरार और टकरार होने लगती है, जिससे सात फेरों का संबंध भी बंधन की जंजीर बनकर जीवन की बाधा बन जाता है। रिश्तों में प्रेम, सौहार्द, त्याग, प्यार का अभाव दिखने लगता है। आज तलाक की विकराल समस्या से संयुक्त परिवार और भारतीय आदर्श दांपत्य जीवन पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। भौतिकता की चकाचौंध में व्यक्ति मधुर रिश्ते का एहसास भूलता जा रहा है। पति-पत्नी के मध्य में अविश्वास, अहम, वहम एवं संदेह सात फेरों के संबंध को भी दुश्मनी में बदल देता है। 'मुझे तुम पर विश्वास है' - यह भाव एक दूसरे के प्रति रहना चाहिए।
मुनि श्री ने आगे कहा - दाम्पत्य जीवन की खुशहाली के लिए एक दूसरे को समय देना चाहिए। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति के पास रिश्तों को निभाने का समय नहीं है, जिससे रिश्ते मुरझाते जा रहे हैं। मुनि श्री ने उपस्थित सैंकड़ों दम्पत्तियों को कहा कि आपस में संवाद करें, विवाद नहीं। वार्तालाप करें, विलाप नहीं एवं एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता और धन्यवाद का भाव रखें। मुनि नरेशकुमारजी ने कहा रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए समन्वय, सामंजस्य, संतुलन एवं सहनशीलता के भाव का विकास जरूरी हैं। मुख्य अतिथि केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा रिश्तों के लिए कहना, सुनना, सहना एवं रहना सीखें। संबंधों से ही सफलता प्रकट होती है। एक दूजे के प्रति समर्पण का भाव रहना चाहिए। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि संत समागम या संतसंग ही अपने आप में प्रेरणा का कार्य करता है। स्वागत स्वर अध्यक्षा नेहा जैन ने किया। जीतो लेडिज विंग की बहनों ने मंगलाचरण किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से ललित पटवा उपस्थित थे। खुशी बच्छावत ने कुशल संचालन करते हुए सबका धन्यवाद किया। इस अवसर पर रायपुर के अलावा छत्तीसगढ़ के अन्य स्थानों से भी श्रावक-श्राविका की सहभागिता रही। अन्य संघीय संस्थाओं के अनेकों प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। सेमिनार में विषय के अनुरूप प्रेरणादायक भव्य नाटिका का मंचन भी किया गया।