विघ्नहर ह्रीं कार अनुष्ठान का भव्य आयोजन
कर्नाटक के इतिहास में प्रथम बार एवं मुनि मोहजीत कुमार जी के सान्निध्य में चतुर्थ बार विघ्नहर ह्रीं कार अनुष्ठान का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद् ,चिकमंगलूरु के तत्वावधान में हुआ। ह्रीं कार की आकृति में बैठकर अनुष्ठानकर्ताओं ने आचार्य सिद्धसेन द्वारा रचित कल्याण मन्दिर स्तोत्र का मुनि जयेश कुमार जी के भावपूर्ण संगान के साथ उच्चारण एवं श्रवण किया। इस अवसर पर मुनि जयेश कुमार जी ने कल्याण मंदिर स्तोत्र की रचना से जुड़ी विशिष्ट चमत्कारी घटना का उल्लेख करते हुए कहा- प्रभु पार्श्वनाथ का माहात्म्य और प्रभाव तीर्थंकर परंपरा में अपना अलग विशिष्ट स्थान रखता है। उन पर रचित अनेक स्तोत्र भक्तों की आस्था के अनन्य केंद्र हैं। इन्हीं स्तोत्रों की कड़ी में एक महत्वपूर्ण नाम है कल्याण मंदिर स्तोत्र। इस स्तोत्र के रचयिता आचार्य सिद्धसेन एक क्रांतिकारी पुरुष थे। वे कहते थे मेरा जन्म सिर्फ अतीत के गीत गाने नही हुआ है, यदि मैं कुछ नया नही कर सकूं तो मेरा जीवन व्यर्थ है। ऐसी सोच वाले व्यक्ति द्वारा महान भक्ति काव्य की रचना कुछ अजीब लग सकती है। पर सिद्धसेन भक्ति विरोधी नही थे। उन्हें वह स्तुति पसंद थी जो अपने आराध्य के गुणों को आत्मसात करने का भाव जागृत करे, ना कि जो सिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि का प्रयत्न हो। यह अनुष्ठान भी सभी के लिए विघ्न निवारक, सिद्धि दायक होने के साथ ही प्रभु पार्श्वनाथ के गुणों को अपनाने की प्रेरणा प्रदान करने वाला बने यह काम्य है। अनुष्ठान का शुभारम्भ नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ। मुनि भव्य कुमार जी ने पार्श्व स्तुति में गीत का संगान कर अनुष्ठान के क्रम को आगे बढाया।
अनुष्ठान के दौरान ह्रीं का पिरामिड प्रत्येक सदस्य के सिर पर शक्ति का केन्द्रीकरण कर रहा था। ह्रीं कार अनुष्ठान में 101 जोड़ों की सहभागिता उनकी साधना के उत्साह को मुखर कर रही थी।
चिकमंगलूरु के इतिहास में ऐसा उपक्रम सम्पूर्ण नवीनता एवं आध्यात्मिकता लिए हुए प्रथम बार हुआ। कार्यक्रम की सफल आयोजना में तेयुप अध्यक्ष जयेश गादिया, मंत्री राकेश कावड़िया, लाजवंत गादिया, नीलेश डोसी, अशोक डोसी, राहुल गादिया, जागृत डोसी, अभिषेक आच्छा, दीपक दुगड़, नितेश नाहर एवं ह्रीं आकृति निर्माण में कलाकार ऋषभ चौहान का विशेष योगदान रहा।