पुरूषार्थ के द्वारा कृत कर्मों को बदला जा सकता है

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पुरूषार्थ के द्वारा कृत कर्मों को बदला जा सकता है

साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में चातुर्मास काल में चल रहे घर-घर नवकार मंत्र का तेरह घंटे जप का समापन समारोह आध्यात्मिक आरोहण अनुष्ठान के रूप में आयोजित हुआ। इस अवसर पर विशाल परिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य अध्यात्म का आरोहण होना चाहिए। आरोहण के लिए मुख्य साधन सामग्री है स्वास्थ्य की शक्ति। स्वास्थ्य की शक्ति भी ग्रह से प्रभावित होती है। ग्रह, नक्षत्र, ज्योतिष आदि के साथ कर्मों की संवादिता होती है। भगवान महावीर ने कर्म सिद्धान्त दिया। यह निश्चित है पुरूषार्थ के द्वारा कृत कर्मों को बदला जा सकता है।
वर्तमान में किए गए पुरूषार्थ से अशुभ कर्मों को शुभ कर्म में परिवर्तित किया जा सकता है। साध्वीश्री ने कहा कि नमस्कार महामंत्र की साधना अध्यात्म के आरोहण की साधना है। नमस्कार महामंत्र महा मृत्युंजय जप है। इसे श्रद्धा भक्ति के साथ किया जाए तो निष्फल नहीं जाता। यह सुरक्षाकर्मी की तरह हमारी सुरक्षा करता है। साध्वीश्री ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- आधि-व्याधि से मुक्ति पाने के लिए, समाधिस्थ रहने के लिए महामंत्र का आलम्बन आवश्यक है। चातुर्मास काल में श्रावक समाज ने 13 घंटे जप का प्रतिदिन जाप किया, आज जप की सफलता पर अनुष्ठान हो रहा है। अशोक हिरण और उनकी सुपुत्री पलक ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत का संगान किया।