दादा-दादी, नाना-नानी संबोध शिविर का सफल आयोजन
मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा प्रेक्षा विहार में 'दादा-दादी, नाना-नानी संबोध शिविर' का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने कहा कि दादा-दादी, नाना-नानी परिवार के कल्पवृक्ष हैं और अनुभवों का अमूल्य भंडार हैं। उनकी छत्रछाया में व्यक्ति सुख और शांति का अनुभव करता है। जिस प्रकार एक वृक्ष फल न देने पर भी शीतल छाया प्रदान करता है, वैसे ही दादा-दादी, नाना-नानी भी अपनी उपस्थिति से परिवार को सुकून और संबल प्रदान करते हैं। बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना स्वयं का सम्मान है।
उन्होंने कहा कि दादा-दादी, नाना-नानी का नैतिक कर्तव्य है कि वे परिवार के साथ बैठकर उनकी समस्याओं में सहभागी बनें और उन्हें सही मार्गदर्शन दें। साथ ही न्यायप्रियता और तटस्थता का विकास करें, ताकि वे एक आदर्श मार्गदर्शक बन सकें। मुनिश्री ने उन्हें सात्विक जीवन जीने, विलासिता से दूर रहने, और अपने जीवन में आत्मनिरीक्षण का महत्व बताया। उन्होंने संयमित आहार, वाणी संयम और सामंजस्य की भावना को विकसित करने पर जोर दिया। मुनिश्री ने योगासन, ध्यान, और स्वाध्याय का अभ्यास करने की प्रेरणा दी और जप, मंत्र, ध्यान मुद्रा आदि का प्रयोग भी करवाया।
मुनि परमानंद जी ने संकल्प बल के माध्यम से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की बात कही और बुजुर्गों को उनके अनुभवों और सम्मान का अधिकारी बताया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने दिया। मंगलाचरण बजरंग डागा, गुलाब बैद, और लक्ष्मीपत बाफणा ने भिक्षु भक्ति गीत के संगान से किया। उद्योगपति रमेश गोयल और महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश गोयल ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। आभार ज्ञापन मंत्री बसंत पटावरी ने किया। द्वितीय सत्र में कई दादा-दादियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए भावनात्मक विचार प्रकट किए। शिविर में 111 सहभागियों ने हिस्सा लिया। आभार ज्ञापन संयोजक उपाध्यक्ष बजरंग डागा, कमल सामसुखा, और राजेंद्र चौपड़ा ने संयुक्त रूप से व्यक्त किया। अंत में आध्यात्मिक लकी ड्रॉ के माध्यम से विजेताओं को आध्यात्मिक संकल्प दिलाए गए।