दिशा भी बदल सकती है जीवन की दशा
मुनि सुधाकरकुमार जी के सान्निध्य में 'वास्तु विज्ञान में अष्ट लक्ष्मी का स्वरूप - दिशा भी बदल सकती है जीवन की दशा और दिशा' विषय पर सेमिनार का आयोजन छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य और रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत एवं हरिभूमि संपादक हिमांशु द्विवेदी की विशेष उपस्थिति में लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में किया गया।
मुनि सुधाकर जी ने जैन आगमों के प्रमाणों के आधार पर वास्तु की भूमिका को विस्तार से समझाया, जिसमें द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव का ध्यान रखना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि जैन ज्योतिष और वास्तु के माध्यम से हम स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं। मुनिश्री ने सरल भाषा में समझाया कि वास्तु का गहरा संबंध दसों दिशाओं और पाँच तत्वों - जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु, और आकाश - से है। उन्होंने वास्तु के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए बताया कि हम अपने स्वभाव और व्यवहार से रिश्तों में मधुरता, पवित्रता और सुदृढ़ता ला सकते हैं, उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, परिवार में प्रेम, सौहार्द, और सामंजस्य को बढ़ा सकते हैं, और मानसिक आनंद, प्रसन्नता, तथा आरोग्य प्राप्त कर सकते हैं। मुनिश्री ने कई अहिंसक और आध्यात्मिक उपाय बताए, जिनसे भाग्योदय को जागृत किया जा सकता है। मुनिश्री ने अष्टलक्ष्मी स्वरूप का विस्तारपूर्वक वर्णन किया और जीवन में उनकी उपयोगिता तथा दिशाओं के महत्व को समझाया। हिमांशु द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि यदि जैन समाज आत्मा के सहयोग से अपने जीवन के वास्तु को साध ले, तो सफलता अर्जित कर सकता है।
मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह ने समाज को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में उत्खनन के दौरान प्राप्त प्राचीन मूर्तियों के प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि जैन धर्म छत्तीसगढ़ का प्राचीन धर्म है। उन्होंने कहा कि मुनिश्री की सन्निधि में वास्तु के विषय में मिली जानकारी का जीवन में प्रयोग कर अपने वास्तु को सुधार सकते हैं और कल्याण प्राप्त कर सकते हैं। सेमिनार में स्वागत उद्बोधन अध्यक्षा नेहा जैन ने किया, संचालन प्रतिभा पोकरना ने किया, और आभार ज्ञापन मंत्री मधुर बच्छावत ने किया।