तप के साथ उपशम की साधना भी होती है जरूरी
साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में श्राविका पुष्पा बाफणा ने 'लघु सर्वतोभद्र तप’ किया। इस उपलक्ष्य में आयोजित अभिनन्दन समारोह में साध्वीश्री ने कहा कि तपस्या से पूर्व संचित कर्मों को तोड़ा जाता है। केवल ज्ञान प्राप्ति के द्वारा प्रदत्त यह शाश्वत उपदेश हमारे लिए आदर्श है। किसी भी साधना का मुख्य उद्देश्य आत्म विशुद्धता होना चाहिए। महावीर निरन्तर तप के साथ ध्यान में लीन रहते। विभिन्न प्रतिमाओं की साधना करते। पुष्पा बाफना ने सिद्धितप, धर्मचक्र, कंठीतप, वर्षीतप, आदि अनेक विशेष तप किए हैं। इस बार इन्होंने लघु सर्वतोभद्र तप की दूसरी बार आराधना की है। तप के साथ, ध्यान, जप, प्रवचन श्रवण और स्वाध्याय आदि का नैरन्तर्य बना रहा, सहज, शान्त भाव से तप को पूर्ण कर रही है। तपस्या में खुद के आत्मबल का महत्त्व होता है, पर पारिवारिक सहयोग भी सहायक बनता है। साध्वीश्री जी ने कहा- तप के साथ उपशम की साधना भी जरूरी है। सहनशक्ति और समन्वयपूर्ण व्यवहार भी एक तपस्या है। जरूरत है- व्यक्ति अपनी खामियों को सुधारें, खुद को बदले, जीवन सरस बन जाएगा।
साध्वी सुदर्शन प्रभा जी ने कहा-तप के विमान में उड़ान भरने के लिए संकल्प और साहस की जरूरत होती है, कायबल की अपेक्षा मनोबल की तपः साधना में विशिष्ट भूमिका है। साध्वी वृन्द ने ‘लघु सर्वतोभद्र सुपावन’ गीत के संगान से अनुमोदना की। कांदिवली महिला मंडल और बाफना परिवार की बहनों ने पृथक-पृथक गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल महाराष्ट्र शाखा प्रभारी, उपासिका संगीता चपलोत ने शुभकामना-स्वर प्रस्तुत किए। तपस्विनी के पोते तत्त्व बाफना ने दादी का वर्धापन किया। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन तेरापंथ सभा के कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश कुमठ ने किया। तेयुप कांदिवली अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने तप साधिका के अभिनन्दन-पत्र का वाचन किया। कांदिवली महिला मंडल अध्यक्षा विभा श्रीश्रीमाल ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद की ओर से तपस्विनी बहन का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन साध्वी अतुलयशाजी ने किया।