दंपत्ति कार्यशाला में सीखे खुशहाल जीवन के सूत्र
साध्वी लब्धियशाजी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में दंपत्ति कार्यशाला का आयोजन भिक्षु बोधि स्थल प्रांगण में रखा गया। साध्वी लब्धियशा जी ने कहा- सुखी जीवन का राज है - कहना सीखो, सहना सीखो, रहना सीखो। ये तीन सूत्र जीवन में उतर गए तो जीवन खुशहाल बन जाएगा। सम्बन्धों को अच्छा रखने की सबसे बड़ी कला है बोलने की कला। वाणी से ही मित्र और शत्रु बनते हैं। प्रसन्नता से रहना भी एक कला है। आनन्द व उत्साह से भरी हमारी मुख मुद्रा ही परिवार की शांति का आधार है। तीसरी कला है सहना, जो सहता है वह रहता है। आज की सबसे बड़ी समस्या है- पेशेंस नहीं है। इसी के कारण तलाक, आत्महत्या, डिप्रेशन, हार्ट अटेक, डायबिटिज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पति और पत्नी यदि एक दूसरे को सहन करना सीख लें तो परिवार स्वर्ग बन जाए।
तेयुप अध्यक्ष विकास मादरेचा ने सभी का स्वागत किया। साध्वी कौशलप्रभा जी ने सभी दम्पत्तियों को विविध राग रागिनियों में पहेलियों व प्रश्नों के माध्यम से रोचक राउण्ड करवाया। दूसरा राउण्ड कपल सॉन्ग का और तीसरा राउण्ड चित्र पहचानो प्रतियोगिता का रहा। इनमें प्रथम स्थान प्राप्त किया - अक्षय शिल्पा कोठारी, मनीष रितु धोका, मनोज समता कोठारी। द्वितीय स्थान पर रहे - अविलेश प्रतिभा कावड़िया, एवं दीपक टीना चपलोत। कार्यशाला में 40 दम्पत्तियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। आभार ज्ञापन पूर्व तेयुप अध्यक्ष भूपेश धोका ने किया। तेयुप द्वारा सभी संभागियों को पुरस्कृत किया। कार्यशाला में तेयुप मंत्री प्रमोद कावड़िया का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी कौशलप्रभा जी ने किया।