वीतरागता के पथ पर बढ़ने से हो सकती है अनंत आनंद की प्राप्ति
अभातेयुप निर्देशित वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन साध्वी सिद्धप्रभा जी के सान्निध्य मे तेयुप विजयनगर द्वारा तेरापंथ भवन, विजयनगर में किया गया। वीतराग पथ कार्यशाला की शुरुआत साध्वीश्री द्वारा नवकार मंत्र के मंत्रोच्चार से हुई। तेयुप विजयनगर अध्यक्ष कमलेश चोपड़ा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से संयम जीवन की प्रेरणा प्राप्त होगी। वीतराग पथ कार्यशाला को संबोधित करते हुए साध्वी सिद्धप्रभा जी ने कहा- वीतरागी बनना हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए। वीतरागी बनने के लिए प्रमाद से रहित होकर कर्मों के बंधन से बचना चाहिए।
साध्वीश्री ने आचार्य श्री तुलसी के महनीय अवदान ज्ञानशाला के वर्तमान स्वरूप की परिकल्पना हेतु गुरुदेव तुलसी का मंगल स्मरण किया। साध्वी श्री ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा प्रदत इस विशेष आयाम का युवक परिषद् द्वारा आयोजन संयम मार्ग को प्रशस्त करने वाला बने। साध्वी श्री ने साधु जीवन और श्रावक जीवन की महत्ता पर बल दिया। उपस्थित बच्चों को संयम की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साध्वी दीक्षाप्रभाजी ने कार्यशाला पर विचार व्यक्त करते हुए चार गति का वर्णन किया। बच्चों को विद्वान, महान और अच्छा साधु बनने के लिए दर्शन केंद्र पर प्रयोग करवाया। ज्ञानार्थियों से प्रश्नोत्तरी द्वारा कार्यक्रम को रोचकता प्रदान की गई।
इस अवसर पर अभातेयुप से विकास बाँठिया, महिला मंडल अध्यक्षा मंजू गादिया ने शुभकामनायें संप्रेषित की। परिषद् पदाधिकारी, सदस्य, ज्ञानशाला संयोजिका ममता मांडोत एवं प्रशिक्षिका बहनों की उपस्थिति एवं सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन तेयुप मंत्री संजय भटेवरा ने किया। कार्यशाला में लगभग 135 लोगों की सहभागिता दर्ज हुइ। आभार ज्ञापन कार्यशाला संयोजक देवांग बैद ने किया।