बुरे कर्मों से बचकर करें सदाचार का पालन : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

बुरे कर्मों से बचकर करें सदाचार का पालन : आचार्यश्री महाश्रमण

चार दिवसीय उधना प्रवास का अंतिम दिन। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फ़रमाया कि एक राजा अपने राज्य से जुड़े तीन प्रमुख कर्तव्यों का पालन करता है:
1. सज्जनों की रक्षा करना।
2. दुर्जनों पर अनुशासन और अंकुश लगाना।
3. प्रजा का भरण-पोषण करना।
राजा बनने में पुण्य का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। राजा बनने के लिए अर्हता और गुण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक दृष्टांत के माध्यम से पूज्य प्रवर ने प्रेरणा देते हुए कहा - 'कर भला तो हो भला। जो दूसरों का बुरा करता है, उसका बुरा ही होता है। कर्मों का फल भोगे बिना या उनका क्षय किए बिना छुटकारा नहीं मिलता। इसलिए हमें बुरे कर्मों से बचना चाहिए और सदाचार तथा धर्माचरण का पालन करना चाहिए। विगत दिनों कालधर्म प्राप्त हुए मुनिश्री विजयराज जी स्वामी की स्मृति सभा का आयोजन पूज्य प्रवर की सन्निधि में हुआ। पूज्यवर ने उनका संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि वे लगभग 94 वर्ष की आयु में देवलोकगमन को प्राप्त हुए। उनका 77 वर्षों का संयममय जीवन अत्यंत प्रेरणादायक था। वे जीवन-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में समर्पित रहे और उनमें काफी विनम्रता देखने को मिली। पूज्यवर ने मध्यस्थ भावना के अंतर्गत चार लोगस्स का ध्यान करवाया।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी, मुख्यमुनिश्री महावीर कुमार जी और मुनि कोमलकुमारजी ने उनके प्रति आध्यात्मिक मंगल भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम में टीपीएफ उधना के नव निर्वाचित अध्यक्ष हिमांशु चपलोत ने अपने भाव प्रकट किए। पूर्व विधायक विवेक भाई पटेल और उधना के विधायक नरेंद्र भाई पटेल ने पूज्यवर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमारश्रमणजी ने किया।