75वां अणुव्रत अधिवेशन सूरत में आयोजित  अणुव्रत अनुशास्ता का मिला आशीर्वाद

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75वां अणुव्रत अधिवेशन सूरत में आयोजित अणुव्रत अनुशास्ता का मिला आशीर्वाद

अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में अणुव्रत आंदोलन का 75वां राष्ट्रीय अधिवेशन 8 से 10 नवम्बर 2024 को सूरत में आयोजित हुआ। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में आयोजित इस अधिवेशन में अणुविभा की केंद्रीय टीम के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ भारत व नेपाल की 66 अणुव्रत समितियों तथा 5 अणुव्रत मंचों से कुल 313 अणुव्रत कार्यकर्ताओं ने सहभागिता दर्ज की। अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में आचार्यप्रवर ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा - अणुव्रत आंदोलन आदमी को हिंसा से अहिंसा को ओर, असत् से सत् की ओर आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। अणुव्रत के कितने अधिवेशन हो चुके हैं, अच्छी बात है कि 75 वर्षों के बाद भी यह आंदोलन जीवित है। अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री मननकुमार ने कहा कि अणुव्रत लोगों को स्वच्छंद से स्वतंत्र बनाने का, चारित्रिक व आध्यात्मिक उत्थान का दर्शन है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में अविनाश नाहर ने दो वर्षीय कार्यकाल में सम्पादित कार्यक्रमों का उल्लेख किया।
नाहर ने कहा - अणुव्रत का भूतकाल भी सुंदर था, वर्तमान भी सुंदर है और भविष्य भी सुंदर रहेगा। अणुविभा महामंत्री भीखम सुराणा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं श्रेष्ठ कार्य करने वाली अणुव्रत समितियों व अणुव्रत मंचों के नामों की घोषणा की। अपराह्न सत्र को नशामुक्ति कार्यक्रम एलीवेट के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री अभिजीत कुमार एवं अणुव्रत डिजिटल डिटॉक्स कार्यक्रम के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री जागृत कुमार ने सम्बोधित किया। अधिवेशन के दूसरे दिन की शुरुआत अणुव्रत रैली के साथ हुई। इस अवसर पर अणुव्रत अनुशास्ता ने ऐसे अणुव्रत पुस्तकालय बनाने का आह्वान किया जहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग आ सकें। इससे पूर्व साध्वीप्रमुखाश्री ने कहा कि अणुव्रत के नियम छोटे-छोटे हैं लेकिन जीवन का रूपांतरण करने वाले हैं।
मुनि दिनेश कुमारजी ने कहा कि अणुव्रत ने जिस रूप में क्रांति की है, वह शांति के लिए है। अणुविभा के निवर्तमान अध्यक्ष और 'अणुव्रत' व 'बच्चों का देश' के संपादक संचय जैन ने संभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा - हम कार्यकर्ताओं को यह सोचना है कि हम कैसे अणुव्रत को अधिक प्रभावी बना सकें? हम अणुव्रत दर्शन को समझें। हम केवल समाज बदलने की बात न करें। स्वयं में बदलाव आ रहा है या नहीं, इस पर भी ध्यान दें। प्रताप दुगड़ अध्यक्ष निर्वाचित सायंकालीन सत्र में अनुदानदाताओं, प्रकल्प संयोजकों एवं श्रेष्ठ अणुव्रत समितियों व अणुव्रत मंचों को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। अंत में निर्वाचन अधिकारी ने 2024-26 के लिए वर्तमान टीम में वरिष्ठ उपाध्यक्ष कोलकाता प्रवासी व लाडनूं निवासी प्रताप सिंह दुगड़ के अणुविभा अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की घोषणा की। वर्तमान प्रबंध न्यासी तेजकरण सुराणा के इस पद पर पुनर्निर्वाचन की घोषणा की गयी।
रात्रिकालीन सत्र में अणुव्रत अमृत क्विज का आयोजन किया गया, जिसका संचालन जिनेन्द्र कोठारी ने किया। अधिवेशन की सम्पन्नता 10 नवम्बर को प्रात:कालीन प्रवचन कार्यक्रम में अणुव्रत अनुशास्ता के पावन आशीर्वाद के साथ हुई।