स्वस्थ मन से होता है स्वस्थ तन का निर्माण
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। स्वस्थ मन से स्वस्थ तन का निर्माण होता है। शरीर की बीमारी मन को और मन की बीमारी शरीर को प्रभावित करती है। स्वस्थ परिवार का आधार है- महिला। यदि महिला स्वस्थ रहती है तो पूरा परिवार स्वस्थ रह सकता है। महिलाएं जैसे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, वैसे ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आगे बढ़ें। सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, एक्युप्रेशर, मंत्र योग, अनुप्रेक्षा के साथ आहार विवेक, वाणी संयम तथा रंग चिकित्सा आदि के प्रयोग नियमित एवं विधिपूर्वक करना चाहिए। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने स्वास्थ्य, संतुलन एवं शान्ति के लिए प्रेक्षा ध्यान योग साधना पद्धति का प्रवर्तन किया। उक्त विचार आचार्य महाश्रमण जी के शिष्य एवं 'शासनश्री' मुनि सुरेश कुमार जी के सहवर्ती मुनि सिद्धप्रज्ञजी ने विज्ञान समिति अशोक नगर उदयपुर में 'स्वस्थ महिला स्वस्थ समाज' विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किये। मुनिश्री ने शारीरिक स्वास्थ्य क़े लिये योग, मुद्रा एवं आहार विज्ञान का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मानसिक संतुलन के लिए मंत्र योग एवं प्राणायाम के प्रयोग कराये। भावनात्मक नियंत्रण के लिए रंगों का ध्यान एवं संकल्प शक्ति के उपाय बताए। प्रारम्भ में डॉ. पुष्पा कोठारी ने मुनिश्री का परिचय देते हुए कहा कि मुनिश्री ने समण दीक्षा के दौरान 22 देशों की यात्रा की तथा पिछले 4 जन्मों का अनुभव किया है। विज्ञान समिति के मुख्य संचालक डॉ. कुन्दन कोठारी ने कहा- मुनि श्री ने जिस तरीके से आज हमे प्रशिक्षण दिया, यह आत्म विकास में बहुत सहायक है। ये प्रयोग बहुत वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक है। कंचन देवी सोनी ने आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में 70 से अधिक प्रबुद्ध महिलाओं ने रुचि से भाग लेकर जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यशाला में प्रकाश धाकड़ का सहयोग रहा।