आनंदमय संयम जीवन है सर्वश्रेष्ठ

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आनंदमय संयम जीवन है सर्वश्रेष्ठ

साध्वी कीर्तिलता जी व साध्वी शांतिलता जी के संयम जीवन की स्वर्ण जयंती का कार्यक्रम तेरापंथ नगर में आयोजित हुआ। साध्वीवृंद ने नमस्कार महामंत्र व परमेष्ठी वंदना से कार्यक्रम की मंगल शुरुआत की। साध्वी पूनमप्रभाजी एवं साध्वी श्रेष्ठप्रभाजी ने साध्वीद्वय के प्रशस्त आध्यात्मिक जीवन के गुणों का वर्णन करते हुए 50 वर्ष के संयम पर्याय जीवन का गीतिका द्वारा प्रस्तुतीकरण किया। साध्वी कीर्तिलताजी ने अपने 50वर्ष के संयम जीवन की यात्रा के स्वर्णिम अवसर पर भाव प्रकट करते हुए कहा कि देव, गुरु, धर्म की कृपा से और तीन आचार्यों की सन्निधि में यह यात्रा निर्बाध गति से आगे बढ़ी। हृदय की आँख जब खुलती है तब दीक्षा होती है। आपने अपनी सहवर्ती साध्वियों के श्रम, सेवा, समता, सहनशीलता, विनय, वात्सल्य व कार्यशैली की प्रसन्न हृदय से सराहना की। आपने सांसारिक व आध्यात्मिक जीवन की तुलना में दिल की गहराई से इस आध्यात्मिक संयममय जीवन को आनंदमय, सर्वश्रेष्ठ बताया। आपने देशभर में 55 हज़ार किलोमीटर की पद यात्रा के खट्ठे-मीठे वृत्तांत सुनाए।
साध्वी शांतिलताजी ने अपने 50 वर्ष के संयम पर्याय जीवन की भावात्मक अभिव्यक्ति देते हुए गुरु के प्रति, अपनी सहोदरी साध्वी के प्रति कृतज्ञता के अहो भाव प्रकट किए। पूरी परिषद को अपने अनुभवों से सरोबार कर दिया। इस अवसर पर महिला मंडल प्रचार प्रसार मंत्री नीलम लोढ़ा ने कहा कि संघ के प्रति अटूट श्रद्धा, आस्था और समर्पण की मिसाल हैं - साध्वीवृंद, और उसी की फलश्रुति है कि आज आपसी आत्मीय स्नेह, वात्सल्य, प्रेम भाव आपके सभी के बीच प्रगाढ़ है। सकल तेरापंथ समाज ने सामूहिक अनुमोदना स्वर में साध्वीद्वय के संयम स्वर्ण जयंती पर आध्यात्मिक शुभ मंगल कामना की। साध्वीद्वय के संसार पक्षीय विशाल सकलेचा परिवार से 57 भाई बहिन बैंगलोर, चेन्नई से कार्यक्रम में शामिल हुए। मुंबई, शाहदा, उदयपुर, गंगाशहर इत्यादि अन्य क्षेत्रों से भी भाई-बहन सहभागी बने। सकलेचा परिवारजन एवं महिला मंडल भीलवाड़ा ने अनुमोदन गीतिका की प्रस्तुति दी। संयम स्वर्ण जयंती की पूर्व संध्या पर भव्य धम्म जागरणा कार्यक्रम में बैंगलोर के गायक संदीप बरड़िया, स्थानीय गायक कलाकार ऋषि दुगड़, अंतिमा दक, दीपांशु झाबक, दक्ष बड़ोला, जिया चोरड़िया, सिद्धार्थ दुगड़ ने साध्वीद्वय के संयमित सुरभित जीवन की अनुमोदना गीतों के माध्यम से की। संचालन दिलीप रांका ने किया।