सफल चातुर्मासिक प्रवास की सम्पन्नता पर आयोजित मंगल भावना समारोह

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सफल चातुर्मासिक प्रवास की सम्पन्नता पर आयोजित मंगल भावना समारोह

चातुर्मास की सम्पन्नता पर मंगल भावना समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमारजी ने कहा- गुरुकृपा से गुवाहाटी का चातुर्मास सम्पन्न हो रहा है। चार महीने अध्यात्म का ठाठ लगा रहा। तप-त्याग से हमारा जीवन महान बनता है। चातुर्मास का समय आत्म जागरण का, स्वाध्याय का समय होता है। ज्ञान के अभाव में अनेक भ्रांतियां पैदा हो जाती हैं। ज्ञान प्राप्त होने के बाद उसका जितना मनन किया जाता है उतनी भीतर में परिपक्वता आती है। प्रत्येक श्रावक को अपनी जीवनचर्या में सामायिक साधना का अभ्यास करना चाहिए, जिससे श्रावकत्व की अनुपालना हो सके। हमारे जीवन में अध्यात्म की भावना पुष्ट बनी रहे, वैसी भावना करते रहें। प्रेरणा से जीवन में परिवर्तन आता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि चातुर्मास में अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए। कितने ही श्रावक-श्राविकाओं ने आध्यात्मिकता का पूरा लाभ उठाया। सभा-संस्थाओं ने दायित्व को निभाया। गुवाहाटी के श्रावकों में अच्छी श्रद्धा-भावना है। मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा - नदी, हवा, बादल, पंछी की तरह संतजन भी चलते रहते हैं। यायावर बनकर धर्म का बोध देते हैं। साधु एवं श्रावक का जोड़ा होता है। साधु की साधना में श्रावक निमित्त बनता है तो श्रावक समाज को धर्म का प्रतिबोध साधु-साध्वी देते हैं। गुवाहाटी का श्रावक समाज कई दृष्टि से बड़ा जागरूक है। श्रावक समाज साधु- साध्वियों के प्रति श्रद्धाशील-भक्ति भावना से पूर्ण है। सभा की संपूर्ण टीम ने चातुर्मास के दायित्व को सजग रहकर निभाया। तेयुप, महिला मंडल, अणुव्रत समिति, टीपीएफ संस्थाओं ने धर्म प्रभावना का कार्य किया है। सभाध्यक्ष बाबूलाल सुराणा, तेयुप अध्यक्ष सतीश भादानी, महासभा उपाध्यक्ष विजय चोपड़ा, टीपीएफ अध्यक्ष पंकज भूरा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष बजरंग बैद, एवं अनेकों वक्ताओं ने गीत एवं वक्तव्य के द्वारा मंगल भावना व्यक्त की। द्वि-दिवसीय मंगल भावना कार्यक्रम का संचालन सभा के सहमंत्री राकेश जैन ने किया। चिकित्सा सेवा एवं गोचरी सेवा करने वालों का सम्मान किया गया।