अच्छी जीवनशैली अपनाकर मानव जीवन को बनाएं सफल : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अच्छी जीवनशैली अपनाकर मानव जीवन को बनाएं सफल : आचार्यश्री महाश्रमण

जिन शासन भास्कर आचार्यश्री महाश्रमणजी का हंसोट के योगी मंदिर विद्यालय में पदार्पण हुआ। पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए महायोगी ने कहा कि शास्त्रों में मनुष्य भव को दुर्लभ बताया गया है। यह मनुष्य जन्म, जो अत्यंत दुर्लभ है, जिसे प्राप्त हो जाए, उसे इसका भरपूर लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। हमें वर्तमान में मनुष्य जन्म प्राप्त है, और इसे आध्यात्मिक दृष्टि से सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए।
मनुष्य जन्म का लाभ उठाने के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। इनमें पहली बात यह है कि प्राणियों के प्रति अनुकंपा का भाव रखना चाहिए। चाहे प्राणी छोटा हो या बड़ा, किसी की भी अनावश्यक हिंसा नहीं करनी चाहिए। सबके साथ सद्व्यवहार, सद्भावना और अहिंसा पूर्ण आचरण का प्रयास करें। अनुकंपा का भाव मानव जीवन का लाभ उठाने और पाप कर्मों से बचने का एक सशक्त उपाय है। दूसरी बात है कि सुपात्र को दान दें। दान का वितरण कोई न कोई फल अवश्य देता है। यदि शुद्ध साधु को शुद्ध दान दिया जाए, तो वह धर्म का कारण बनता है और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। गरीबों और दुखियों को दान देने से आपकी दयालुता प्रकट होती है, और देने वाले के प्रति उनके मन में भी अच्छी भावना उत्पन्न होती है। हालांकि, यह एक सांसारिक संबंध है और इसमें आध्यात्मिक धर्म का लाभ नहीं मिलता। संसार में परस्पर सहयोग की परंपरा चलती रहती है। मित्र को कुछ देने से मित्रता गहरी होती है, और दुश्मन को कुछ देने से दुश्मनी दूर हो सकती है। नौकर-चाकर को अतिरिक्त देने से वे आपकी सेवा में और तत्पर होते हैं। राजा-मंत्री आदि को भेंट देने से वे सहयोग करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। दान चाहे किसी को भी दें, उसका कोई न कोई फल अवश्य होता है। लेकिन शुद्ध साधु को शुद्ध दान देने की भावना रखना आवश्यक है।
साधु-संतों से शास्त्रों को सुनने का प्रयास करें। गुणीजन के प्रति विनय और प्रमोद की भावना रखें। अर्हतों की भक्ति और भाव पूजा करें, गुरु की उपासना करें। मानव जीवन मिला है, तो इसे सुफल और सफल बनाने का प्रयास करें। मानव जन्म एक बार मिला है, और यह दोबारा कब मिलेगा, इसका कोई पता नहीं। इसलिए वर्तमान मानव जीवन का धार्मिक दृष्टि से लाभ उठाने का प्रयास करें। अहिंसा, संयम, और तप रूपी धर्म को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। सबके साथ सद्भावना रखें, अनावश्यक कलह से बचें। एक अच्छी जीवनशैली अपनाकर मानव जीवन को सफल बनाया जा सकता है। दूसरों को भी जितना संभव हो, धार्मिक सहयोग प्रदान करें और सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। यही मानव जीवन की सफलता है। विद्यालय की ओर से प्रिंसिपल हरीशभाई पटेल ने पूज्यवर के स्वागत में अपनी भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।