जागरुकता के अभाव में कहीं व्यर्थ न हो जाए सम्यक्त्व का खजाना
तेरापंथ भवन में समायोजित भगवान महावीर दीक्षा कल्याणक कार्यक्रम में उपस्थित धर्म परिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा - जीवन में जन्मदिन से बड़ा दीक्षा दिवस होता है, क्योंकि धरती पर जन्म लेने वाले सभी होते हैं पर गृहस्थ जीवन को छोड़ कर संयम-पथ स्वीकार करने वाले विरले होते हैं। भगवान महावीर का जीवन प्रारंभ से ही करुणा, समता, वैराग्य से परिपूर्ण रहा। महान गुणों के अवधारक महावीर ने राग से वैराग्य-पथ पर चरणन्यास किया। शरण में आए शरणार्थियों का उद्धार किया, आत्म कल्याण का मार्ग दिखाया।
साध्वीश्री ने आगे कहा - आज का दिन प्रेरणा देता है कि हर श्रावक ऐसी साधना करे जिससे उसके सम्यक्त्व की स्थिरता बनी रहे। अपने सम्यकत्व की सुरक्षा का प्रयास करें। सम्यकत्व एक महत्त्वपूर्ण खजाना है, वह जागरुकता के अभाव में कहीं व्यर्थ न चला जाए। सभी मोक्ष में जा सकते हैं, इस बात को न भूलें। भगवान महावीर के बारे में ज्यादा भले ही न कहें, महावीर ने जो कहा है- उसे अपने जीवन व्यवहार में अपनाएं। अनेकान्त, अहिंसा, अपरिग्रह की चेतना का ऊर्ध्वारोहण हो। साध्वी अतुलयशा जी ने कहा - भगवान महावीर का जीवन आदर्श है उन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए साधुत्व स्वीकार करके महान सूत्र दिए हैं। साध्वी सुदर्शनाप्रभाजी, साध्वी अतुलयशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी और साध्वी शौर्यप्रभा जी ने 'महावीर हॉस्पिटल' कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति दी और 'जिनशासन का सुंदर उपवन' गीत का सामूहिक संगान किया।
तेयुप द्वारा सामूहिक महावीर अभ्यर्थना से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। तेरापंथ सभा मालाड के मंत्री सुरेश धोका, तेयुप अध्यक्ष जयन्ती मादरेचा, बैंगलौर से समागत राजेश कोठारी ने श्रद्धासिक्त विचार प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मंडल मालाड की बहनों ने श्रद्धा स्वर प्रस्तुत किए। साध्वी राजुलप्रभा जी और साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने आज से ग्यारह वर्ष पूर्व, तुलसी जन्म शताब्दी के अवसर पर बीदासर वृहद् दीक्षा समारोह में आचार्य श्री महाश्रमण जी के श्रीमुख से श्रेणी आरोहण के प्रसंग को याद करते हुए दीक्षा प्रदाता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने किया।