जागने का अर्थ है स्वयं को जानना
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि रमेश कुमार जी का श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा वीरगंज के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में स्वागत कार्यक्रम का आयोजित हुआ। स्वागत कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा- संत जागृति का संदेश देते हैं, जागने के अर्थ को सम्यक् तरीके से सिखाते हैं। जागने के महत्व को समझें। व्यक्ति प्रात:काल अंगड़ाई लेते हुए जागता है। उसे लगता है कि मैं जागा हुआ हूं, पर तथ्य यह है कि वह जागा हुआ नहीं है। उसका यह भ्रम आजीवन उसे दौड़ाया करता है। कोई धनार्जन की भूमिका बनाता रहता है। कोई लोकेषणा की पूर्ति में खोखला प्रदर्शन करता रहता है। इससे इतर कुछ पद, प्रतिष्ठा की दौड़ में ही लगे रहते हैं, कुछ प्रपंच में पूरा जीवन बिता देते हैं।
कोई दूसरे की प्रगति देखकर ईर्ष्या से जल-भुन जाता है। आपने आगे कहा- वास्तव में ये सभी क्रियाएं नींद की पर्याय हैं। अधिकांश व्यक्ति सोए हुए हैं। सुविधाओं की लंबी सूची बनाकर उनकी पूर्ति में पूरा जीवन खपा देते हैं। इस जागृत स्वप्न से उबरने के लिए बाहर की नहीं भीतर की यात्रा अपेक्षित है। जागता वह है जो वैराग्य का मुखापेक्षी होता है। मुनि रत्न कुमार जी ने सभी को संतों के प्रवास का अधिक से अधिक लाभ लेने की प्रेरणा दी।
ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने महाप्रज्ञ अष्टकम से मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभाध्यक्ष दिलिप कोठारी ने पूरे समाज की ओर संतों का स्वागत करते हुए अधिक से अधिक वीरगंज प्रवास का निवेदन किया। तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा बबीता खटेड, तेयुप अध्यक्ष लोकेश जम्मड, महासभा के का.स. निर्मल कुमार सिंघी आदि अनेक वक्ताओं ने संतों के स्वागत कार्यक्रम में अपनी-अपनी संस्थाओं की ओर से स्वागत किया। हर्षिका भंसाली ने कविता के माध्यम से संतों का स्वागत किया। तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल ने सामूहिक स्वागत गीत का संगान किया।