23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में प्रभु पार्श्व जयंती के विशेष अनुष्ठान का कार्यक्रम तेरापंथ सभा भवन हासन में आयोजित किया गया। तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा प्रभु पार्श्वनाथ की स्तुति में मंगल गान प्रस्तुत किया गया। साध्वी संयमलता जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि, क्षमता और अनुकूलता के अनुसार साधना के मार्ग का चयन कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण आयाम है- जप अनुष्ठान। तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती का दिन मंत्रों की सिद्धि और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साध्वी जी ने बताया कि वज्रपंजर स्तोत्र रक्षा कवच, भौतिक सिद्धि, आध्यात्मिक समृद्धि और वैभव को प्राप्त कराने वाला है। मंत्रों का उच्चारण हमारे चारों ओर सशक्त ऊर्जा का निर्माण करता है, जिससे हमारी शक्तियां जागृत होकर सही दिशा में नियोजित हो सकती हैं। साध्वी मार्दवश्री ने अनुष्ठान के दौरान स्वर विज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्वर तीन प्रकार के होते हैं – चंद्र, सूर्य और सुषुम्ना। जब सुषुम्ना स्वर सक्रिय होता है, तब साधक अंतर्मुखता की ओर अग्रसर होता है। जप अनुष्ठान का प्रारंभ चंद्र स्वर से करने से सफलता प्राप्त होती है। मुद्रा विज्ञान का अभ्यास भी अनुष्ठान में सहायक होता है। मुद्राओं के माध्यम से मानसिक स्थिरता पाई जा सकती है और अनेक रोगों तथा दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है। शंख मुद्रा के द्वारा मन की चंचलता को शांत कर अनुष्ठान में तल्लीनता लाई जाती है। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने लाल चुनरी और सफेद परिधान धारण कर स्वस्तिक के आकार में मंत्र साधना की। इस कार्यक्रम में हासन, चिकमंगलुर, होलेनरसीपुर, मंड्या आदि आसपास के क्षेत्रों से समाज के अनेक लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर लगभग 14 उपवास और 40 एकासन भी हुए। चिकमंगलुर के श्रावकों के निवेदन पर साध्वीश्री ने 2025 का मर्यादा महोत्सव चिकमंगलुर में आयोजित करने की स्वीकृति प्रदान की।