आत्मा की यात्रा के लिए आवश्यक है ध्यान

संस्थाएं

आत्मा की यात्रा के लिए आवश्यक है ध्यान

मुनि आनंद कुमार जी 'कालू' के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, दालखोला में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री द्वारा महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। मंडल की बहनों ने 'महाप्रज्ञ-अष्टकम्' के साथ मंगलाचरण किया। मुनि विकास कुमार जी ने 'शांति का आधार प्रेक्षाध्यान है' गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सामूहिक प्रेक्षाध्यान गीत प्रस्तुत किया गया। मुनि आनंद कुमार जी ने कहा कि ध्यान साधना जीवन की धारा को बदलने का साधन है। आचार्य श्री तुलसी की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए, लगभग 50 वर्ष पूर्व, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने ध्यान का नवीनीकरण कर प्रेक्षाध्यान जैसी विधा की स्थापना की। यह मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और तनाव मुक्ति के लिए अत्यंत उपयोगी है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भावनात्मक और मानसिक तनाव से बचाने के लिए प्रेक्षाध्यान एक सफल समाधान है। सहनशीलता और धैर्यशीलता की कमी, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाना आदि समस्याओं का समाधान प्रेक्षाध्यान में निहित है। आज संपूर्ण विश्व में प्रेक्षाध्यान की ख्याति बढ़ रही है। ध्यान के महत्व को समझाते हुए मुनि श्री ने कहा कि ध्यान अंदर की यात्रा है। मनुष्य बाहरी जगत में घूम लेता है, लेकिन आत्मा की यात्रा के लिए ध्यान आवश्यक है। ध्यान के बिना ज्ञान भी संभव नहीं है। उन्होंने ध्यान को आत्मा की खोज और आत्मा से आत्मा के संवाद का माध्यम बताया।
मुनि श्री ने कार्यशाला के दौरान कायोत्सर्ग, महाप्राण ध्वनि, दीर्घ श्वास और मृदुता की अनुप्रेक्षा का अभ्यास करवाया। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष वंदना बैद ने कार्यशाला का कुशल संचालन किया। ममता बैद ने आभार प्रकट किया। तेरापंथ महिला मंडल की पूरी टीम और समाज के अनेक श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।