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जीवन में प्रतिदिन कुछ नया सीखने का प्रयास करें
मुनि जिनेशकुमार जी के सानिध्य में व्योम न्यू अलीपुर में 'जीवन प्रबंधन के सूत्र' विषयक विशेष प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि जन्म के साथ जीवन का प्रारंभ और मृत्यु के साथ उसका समापन होता है, लेकिन जन्म और मृत्यु से अधिक मूल्यवान जीवन का संचालन होता है। कुछ लोग हंसकर तो कुछ रोकर, कुछ ढंग से तो कुछ ढोंग से जीवन जीते हैं। जीवन जीना एक बात है, लेकिन प्रबंधन के साथ स्वाभिमानपूर्वक जीना दूसरी बात है।
मुनिश्री ने ने जीवन प्रबंधन के चार महत्त्वपूर्ण सूत्रों पर प्रकाश डाला — लाइटिंग (प्रकाश), लर्निंग (सीखना), लविंग (प्रेम) और लॉफिंग (हास्य एवं प्रसन्नता)। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है और इसे श्रेष्ठ तरीके से जीने के लिए भीतर ज्ञान का प्रकाश फैलाना आवश्यक है। ज्ञान को केवल पुस्तकों में सीमित न रखकर, उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए। जीवन में प्रतिदिन कुछ नया सीखने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। प्रेमपूर्ण व्यवहार दूसरों के साथ मैत्रीभाव विकसित करता है और तनाव मुक्त रहने के लिए प्रसन्न रहना आवश्यक है।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि जीवन को सुखी बनाने के लिए अतिक्रोध और कटु वाणी से बचना चाहिए, क्योंकि वाणी की सभ्यता में जीवन की भव्यता छिपी हुई है। मुनि कुणाल कुमार जी ने अपने सुमधुर गीतों से कार्यक्रम को संगीतमय बना दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडवोकेट गोपाल हल्दर और 'युवाशक्ति पत्र' के संपादक सुधांशु शेखर ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। व्योम के अध्यक्ष सागरमल भूरा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि समीक्षा बच्छावत ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की कार्यसमिति सदस्या एवं पश्चिम बंगाल प्रभारी संगीता बाफणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पी.एस. ग्रुप के चेयरमैन सुरेंद्र दुगड़ और बेहाला श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अशोक सिंघी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन मुनि परमानंद जी ने किया, जबकि सुनील नाहटा ने आभार ज्ञापित किया।