आध्यात्मिकता के मार्ग पर हो बुद्धि का सदुपयोग : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

गांधीधाम। 15 मार्च, 2025

आध्यात्मिकता के मार्ग पर हो बुद्धि का सदुपयोग : आचार्यश्री महाश्रमण

पूर्णिमा के चंद्र के समान शीतलता प्रदान करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ज्ञान की शीतलता प्रदान करते हुए कहा कि हमारे यहां सत्संग की परंपरा है। संतपुरुषों, सज्जनों और ज्ञानियों का संग करना सत्संग कहलाता है। इससे जीवन में सद्गुणों का विकास संभव होता है। संतों का जीवन त्यागमय और संयममय होता है, और यदि उनके पास ज्ञान भी हो तो यह सोने पे सुहागा जैसी बात हो जाती है। संतों के संपर्क में रहने तथा साधुओं और श्रमण-श्रमणियों की पर्युपासना करने से पहला लाभ यह होता है कि कुछ नया सुनने को मिलता है। इस प्रकार आत्मा को ज्ञानामृत रूपी खुराक मिल सकती है।
जीवन को तीन अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है— बचपन, युवावस्था और वृद्धावस्था। युवावस्था कार्य करने के लिए सबसे अनुकूल होती है। बचपन और बुढ़ापे में एक समानता यह होती है कि दोनों को सहारे की आवश्यकता होती है। यौवनावस्था में शरीर बलवान होता है और अनुभव परिपक्व हो जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति सक्रिय रूप से कार्य कर सकता है। किंतु युवावस्था एक बार चली जाए, तो लौटकर नहीं आती। वृद्धावस्था में अनुभव अधिक हो सकता है, किंतु शारीरिक क्षमता सीमित हो जाती है।
युवाओं में ईमानदारी और नैतिकता बनी रहे। चोरी और झूठ से दूर रहें, नशा मुक्त जीवन अपनाएं। अपनी बुद्धि का उपयोग समस्याओं को सुलझाने में करें। आध्यात्मिकता के मार्ग पर बुद्धि का सदुपयोग करें। यदि कोई उलझी हुई रस्सी को सुलझाने का प्रयास करे, तो वह सुलझ सकती है। उसी प्रकार, यदि कोई व्यक्ति सद्गुणों के प्रति आकर्षित हो, तो वह उन्हें अपने जीवन में उतार सकता है। युवा सेवा देने वाले और नेतृत्व करने वाले हो सकते हैं। साधु-संतों के मार्ग में सेवा देने की परंपरा भी चलती आ रही है। युवा शक्ति का संगठन अच्छा होना चाहिए। सद्गुणों का निवास आदमी की आत्मा, उसका मस्तिष्क और उसके व्यवहार में होना चाहिए। युवाओं में अनासक्त भाव हो, विनय का गुण हो, कर्तव्यों के प्रति निष्ठा बनी रहे।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व बृहद् युवा सम्मेलन का समायोजन किया गया, जिसका विषय था 'युवाशक्ति - सद्गुणानुरक्ति'। इस अवसर पर मुनि कुमारश्रमणजी और मुनि योगेशकुमारजी ने अपने विचार प्रकट किए। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अशोकभाई सिंघवी, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री रोहित ढेलड़िया, पूर्व अध्यक्ष राकेश सेठिया, श्री राजस्थान जैन नवयुवक मण्डल-गांधीधाम के मंत्री मुकेश पारेख, धर्मेश डोशी, महावीर इण्टरनेशनल यूथ के अध्यक्ष मुकेश तातेड़, आयकर कमिश्नर विनिष्टम कोलागाछी, करोड़ीमल गोयल, गुजरात विधानसभा की पूर्व स्पीकर डॉ. निमाबेन आचार्य तथा जी. सी. संघवी ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आशीष ढेलड़िया ने अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।