सत्य का मार्ग है राजपथ के समान : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सिधाड़ा। 5 अप्रैल, 2025

सत्य का मार्ग है राजपथ के समान : आचार्यश्री महाश्रमण

धर्म धुरंधर आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर सिधाड़ा पधारे। पावन पाथेय प्रदान करते हुए उन्होंने फरमाया कि अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध उक्ति है— 'Honesty is the best policy', अर्थात 'ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।' साधु-संतों के जीवन में तो ईमानदारी एक जीवन-मूल्य बन जाती है। दीक्षा ग्रहण करते समय ही वे सर्व मृषावाद विरमण और सर्व अदत्तादान विरमण जैसे महान व्रतों को आजीवन स्वीकार करते हैं। गृहस्थ जीवन में भी ईमानदारी का विशेष स्थान होना चाहिए। ऐसा कोई असत्य न बोला जाए जिससे हिंसा की आशंका हो। मनुष्य या तो अपने लाभ के लिए, या किसी और के लिए झूठ बोलता है। झूठ बोलने के प्रमुख कारण हैं—क्रोध और भय। कभी-कभी व्यक्ति स्वयं के बचाव के लिए या थोड़े से लाभ के लिए भी असत्य का सहारा लेता है।
बच्चों में भी यह संस्कार डालना चाहिए कि वे कभी झूठ न बोलें। कई बच्चे पूर्वजन्म के संस्कार लेकर आते हैं—यदि उचित मार्गदर्शन और प्रेरणा मिले, तो वे संस्कार जागृत हो सकते हैं। कई ऐसे छोटे-छोटे संत हैं, जो आगे चलकर विद्वान और सिद्ध पुरुष बनते हैं। आचार्यश्री ने प्रसंगवश कहा कि मुख्यमुनि के बचपन में उनके गांव में साध्वियों का पदार्पण हुआ और बाद में दीक्षा भी हो गई। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी, परम पूज्य गुरुदेव तुलसी भी तो बच्चे ही थे, लेकिन इतना विकास हुआ कि वे हमारे धर्मसंघ के अधिनेता बन गए। आचार्यश्री ने मुख्यमुनिश्री को बचपन की घटना आदि सुनाने को कहा तो मुख्यमुनि श्री महावीरकुमारजी ने अपने बचपन के प्रसंगों की प्रस्तुति दी।
पूज्यवर ने कहा - बाल्यकाल में ही जिनके भीतर सच्चाई, चोरी से दूरी और छल-कपट से विमुखता के भाव होते हैं, वही जीवन में महानता की ओर अग्रसर होते हैं। हर महान व्यक्ति भी कभी एक छोटा बच्चा ही था। यदि जीवन में सुसंस्कारों की संपत्ति हो, तो व्यक्ति सच्चे अर्थों में समृद्ध बन सकता है। सच्चा व्यक्ति तनाव-मुक्त रह सकता है, जबकि झूठ बोलने वाला सदैव चिंता और भय में जीता है।
सच्चाई परेशान हो सकती है, लेकिन परास्त नहीं होती। सत्य का मार्ग राजपथ के समान है—सीधा, स्पष्ट और प्रामाणिक। यदि व्यक्ति जीवन में सही मार्ग चुनता है, तो वह महानता की ओर बढ़ सकता है। हमें सदैव सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए। पूज्यवर के स्वागत में प्राथमिक शाला से भावेशभाई पांचाल, सरपंच महबूब भाई एवं उपासक प्रभुभाई मेहता ने अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।