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आत्म कल्याण के लिए संत भीखणजी ने किया अभिनिष्क्रमण
ट्रिप्लीकेन, चेन्नई। मुनि दीपकुमार जी के सान्निध्य में 266वां आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस का आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ ट्रस्ट ट्रिप्लीकेन एवं श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा साहूकारपेट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन किया गया। मुनि दीपकुमार जी ने कहा - आचार्य भिक्षु ने आत्म कल्याण के लिए अभिनिष्क्रमण किया। उनका मनोबल बहुत मजबूत था। उन्होंने विरोधों और कष्टों की परवाह नहीं की, वे महावीर वाणी पर पूर्ण रूप से समर्पित थे। आचार्य भिक्षु सिद्धांतनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने आदर्शों और सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने सुख-सुविधाओं से दूर रहकर कांटों भरा पथ अपनाया। व्यक्ति के अंतिम पड़ाव शमशान को आचार्य भिक्षु ने अभिनिष्क्रमण के बाद प्रथम पड़ाव बनाया। इस वर्ष में आचार्य भिक्षु का जन्म त्रिशताब्दी प्रारंभ होने वाला है। हम आचार्य भिक्षु के जीवन दर्शन के विशेष प्रेरणा ले, अध्ययन करें। मुनिश्री ने आगे कहा- आज रामनवमी का दिन है। श्रीराम का जीवन भी सत्य को समर्पित था। भारतीय संस्कृति में श्री राम एक आदर्श पुरुष है। मुनि काव्यकुमार जी ने कहा- जो सत्य की जीर्ण-शीर्ण दीवारों को ढहाने के लिए तूफान बनकर आया था और संघर्षों के तूफानों में हिमालय बनकर खड़ा रहा था, उनका नाम है आचार्य भिक्षु। मुख्य वक्ता गौतम सेठिया ने अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम में साहूकारपेट तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अशोक खंतग, विमल चिप्पड़, पल्लावरम सभा अध्यक्ष दिलीप भंसाली आदि ने विचार रखे। संचालन विजय राज गेलड़ा ने किया।