समर्पण, संघर्ष और सफलता की मिसाल है भिक्षु का जीवन

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राजाजीनगर।

समर्पण, संघर्ष और सफलता की मिसाल है भिक्षु का जीवन

राजाजीनगर। साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में 266वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस एवं भिक्षु दर्शन कार्यशाला का भव्य आयोजन तेरापंथ सभा एवं तेरापंथ युवक परिषद द्वारा अशोका कन्वेंशन हॉल, राजाजीनगर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सामूहिक नमस्कार महामंत्र से हुआ। इस अवसर पर भिक्षु श्रद्धा स्वर टीम द्वारा विशेष गीतिका एवं विजय गीत की प्रस्तुति दी गई। दक्षिणांचल महासभा प्रभारी प्रकाशचंद लोढ़ा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष अशोक चौधरी एवं तेयुप अध्यक्ष कमलेश चौरडिया ने उपस्थित श्रावक समाज का स्वागत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए और आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला के राष्ट्रीय सह-प्रभारी राकेश पोखरना ने भी अपने विचार साझा किए।साध्वी संयमलता जी ने श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा, “सत्य की खोज के लिए आचार्य भिक्षु ने अभिनिष्क्रमण किया। गालियाँ और शारीरिक प्रहार सहते हुए भी वे सत्य के मार्ग से विचलित नहीं हुए। वे नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे। उनका जीवन समर्पण, संघर्ष और सफलता की मिसाल है। आज हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर सत्य, नैतिकता और ईमानदारी से जीवन जीने का संकल्प लेना चाहिए।” मुख्य वक्ता बजरंग जैन ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “भिक्षु का नाम जीवन को समृद्ध बनाता है। भक्ति, श्रद्धा और समर्पण से व्यक्ति अपने सम्यक्त्व को पुष्ट करता है और वीतराग मार्ग की ओर अग्रसर होता है।” साध्वी मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि भिक्षु सत्य के पुजारी थे। उन्होंने सर्वस्व त्यागकर अकेले सत्य के मार्ग पर चलना स्वीकारा और उनके पीछे तेरापंथ का विशाल कारवाँ जुड़ता चला गया। इस अवसर पर महासभा प्रभारी प्रकाशचंद लोढ़ा, संजय बाठिया (सभा शाखा प्रभारी), विजयनगर सभा अध्यक्ष मंगल कोचर, यशवंतपुर सभा अध्यक्ष सुरेश बरडिया, हनुमंतनगर सभा अध्यक्ष गौतम दक, सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री चंद्रेश मांडोत ने किया।