नमस्कार महामंत्र में किया गया है पांच प्रकार की  विशिष्ट आत्माओं को नमन : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भाभर। 9 अप्रैल, 2025

नमस्कार महामंत्र में किया गया है पांच प्रकार की विशिष्ट आत्माओं को नमन : आचार्यश्री महाश्रमण

जीतो संस्था द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में 9 अप्रेल को विश्व नवकार महामंत्र दिवस के रूप में मनाया गया। जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों के आचार्यों ने भी इस जप अनुष्ठान हेतु स्वीकृति प्रदान करवाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में नई दिल्ली में मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिन शासन के सजग प्रहरी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ लगभग 12 किमी का विहार कर दो दिवसीय प्रवास हेतु भाभर पधारे। जिन वाणी की अमृत वर्षा कराते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि नमस्कार महामंत्र में पांच प्रकार की विशिष्ट आत्माओं को नमन किया गया है, जिनमें अर्हत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और सर्व साधु सम्मिलित हैं। परम पुनीत अर्हत् इस संसार की वे आत्माएं हैं जो चार घाती कर्मों का नाश कर तीर्थंकरत्व को उपलब्ध हो चुकी हैं। वर्तमान अवसर्पिणी काल में इस भरत क्षेत्र में 24 तीर्थंकर हो चुके हैं जो अर्हत् थे, फिर सिद्धत्व को प्राप्त हो गये।
भौतिक जगत का उत्कृष्ट व्यक्ति एक चक्रवर्ती होता है और अध्यात्म जगत में उत्कृष्ट व्यक्ति तीर्थंकर होते हैं। चक्रवर्ती षट् खण्डाधिपति होते हैं। कोई-कोई मनुष्य चक्रवर्ती बन जाते हैं और उसी जीवनकाल में तीर्थंकरत्व को भी प्राप्त हो जाते हैं। सिद्ध भगवान आठों कर्मों से मुक्त आत्माएं हैं, मोक्ष अवस्था को प्राप्त हो चुके हैं। जिनका सब प्रयोजन मानो सिद्ध हो गया है। जीव को अमूर्त कहा जाता है। उस अमूर्तत्व का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सिद्ध भगवान हैं जो पूर्णतया अमूर्त होते हैं। संसारी जीव अमूर्त हैं पर उनके कर्म लगे हुए हैं। कर्म अपने आप में मूर्त है और संसारी जीव कर्मों से युक्त है। आचार्य पांच पदों में मध्यवर्ती होते हैं, वे तीर्थंकर के प्रतिनिधि कहलाते हैं। आचार का पालन करना-कराना और संघ का नेतृत्व करना उनकी जिम्मेवारी होती है। वे तीर्थंकर की वाणी के प्रवक्ता हो सकते हैं। उपाध्याय ज्ञानमूर्ति, आगमों के अध्ययन और अध्यापन में निरत रहने वाले, आगम मनीषी होते हैं। साधना करने वाले, महाव्रतों की आराधना करने वाले, शुद्ध साधु होते हैं।
इन पांच पदों में अनन्त जीव विराजमान हैं। तीर्थंकर कम से कम बीस और अधिकतम 170 एक साथ इस दुनिया में हो सकते हैं। सिद्ध भगवान तो अनन्त हैं और अनन्त हो जायेंगे। केवलज्ञानी भी होते हैं वे कम से कम 2 करोड़ और उत्कृष्ट नौ करोड़ मिलते है। आचार्य, उपाध्याय और साधु भी दुनिया में हमेशा रहते हैं। साधु तो जघन्य दो हजार करोड़ कर उत्कृष्ट नौ हजार करोड़ हो सकते हैं। पूज्यवर ने पंच परमेष्ठी की स्तुति में 'श्रद्धा विनय समेत' गीत का संगान करवाया।
पूज्यवर ने आगे कहा - नवकार का अपना महत्व है। आज 9 अप्रैल है। जीतो संस्था द्वारा आज विश्व नवकार महामंत्र दिवस के रूप में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है। पूज्यवर ने नवकार महामंत्र का जाप करवाकर जीतो के कार्यक्रम में सहभागिता करवायी। आचार्यश्री के स्वागत में साध्वी सिद्धांतश्रीजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए गीत का संगान किया। शशिकांतभाई मोदी, रघुवंशी देसी लोहाना महाजनवाडी के प्रमुख हरीभाई आचार्य ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। भाभर नगरपालिका प्रमुख वलूभाई राठौड़, गुजरात भाजपा की प्रदेशी मंत्री नौकाबेन प्रजापति ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी अभिव्यक्ति दी। प्रतीक परिख व नव्या परिख ने अपनी प्रस्तुति दी। वाव-पथक के संयोजक दिलीप सिंघवी, संरक्षक प्रवीणभाई मेहता ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। भाभर तेरापंथ महिला मण्डल व वाव पथक महिला मण्डल ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।