नवकार महामंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं है, हमारी आस्था का मूल है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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विज्ञान भवन, नई दिल्ली। 9 अप्रैल, 2025

नवकार महामंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं है, हमारी आस्था का मूल है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाईजेशन द्वारा निर्देशित विश्व नवकार महामंत्र दिवस कार्यक्रम विश्व भर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया। इस आयोजन में सकल जैन समाज ने एकजुटता के साथ जुड़कर नमस्कार महामंत्र के भाव पूर्ण अनुष्ठान के साथ विश्व कल्याण की कामना की। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व नवकार महामंत्र दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नवकार मंत्र स्थिरता, समभाव और आंतरिक प्रकाश की सामंजस्यपूर्ण लय का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात में जैन संस्कृति का गहरा प्रभाव है और उन्हें बचपन से जैन आचार्यों के सान्निध्य का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि जैन धर्म आत्म-विजय की प्रेरणा देता है और नवकार मंत्र व्यक्ति को भीतर से शुद्ध करता है। उन्होंने कहा- ‘नवकार मंत्र केवल एक मंत्र नहीं है, हमारी आस्था का केंद्र है।’
प्रधानमंत्री ने भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव और विदेशों से तीर्थंकर मूर्तियों की वापसी की चर्चा करते हुए बताया कि हाल के वर्षों में 20 से अधिक प्राचीन मूर्तियाँ भारत लाई गई हैं। उन्होंने नई संसद में जैन संस्कृति के प्रभाव की ओर भी संकेत किया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा - जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़ रहा है। इस ज्ञान को संजोना हमारा कर्तव्य है। प्राकृत और पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इससे जैन साहित्य पर और अधिक शोध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि भाषा को संरक्षित करने से ज्ञान का अस्तित्व बना रहता है और भाषा का विस्तार करने से ज्ञान का विकास होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक और संवेदनशील दोनों है। उन्होंने कहा कि जैन परंपरा का प्रतीक - "परस्परोपग्रहो जीवानाम्" - सभी जीवों की परस्पर निर्भरता पर जोर देता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, आपसी सद्भाव और शांति के गहन संदेश के रूप में जैन धर्म की अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता, चाहे वह सबसे सूक्ष्म स्तर पर ही क्यों न हो, को रेखांकित किया। उन्होंने दुनिया को अनेकांतवाद के दर्शन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जलवायु परिवर्तन के ज्वलंत मुद्दे को संबोधित करते हुए उन्होंने व्यवस्थित जीवन शैली को समाधान के रूप में पहचाना और भारत द्वारा ‘मिशन लाइफ़’ की शुरुआत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जैन समुदाय सदियों से सादगी, संयम और स्थिरता के सिद्धांतों पर जी रहा है। अपरिग्रह के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए उन्होंने इन मूल्यों को व्यापक रूप से विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभी से, चाहे वे किसी भी स्थान पर हों, मिशन लाइफ़ के ध्वजवाहक बनने का आग्रह किया।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्व नवकार मंत्र दिवस वैश्विक स्तर पर सुख, शांति और समृद्धि को निरंतर बढ़ाएगा। उन्होंने इस आयोजन के लिए चारों संप्रदायों के एक साथ आने पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे एकता का प्रतीक बताते हुए, पूरे देश में एकता के संदेश को फैलाने के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर प्राप्त हो रहे चारित्रात्माओं के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस वैश्विक आयोजन के लिए पूरे जैन समुदाय को अपना सम्मान व्यक्त किया। इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए जीतो को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी, जीतो अपेक्स अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी, अध्यक्ष विजय भंडारी, अन्य पदाधिकारियों एवं गणमान्य लोगों की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए इस उल्लेखनीय आयोजन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।