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भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस एवं स्वागत कार्यक्रम
साध्वी अणिमाश्री जी ठाणा-5 का दिल्ली चातुर्मास के पश्चात जयपुर, जोधपुर होते हुए भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस के पावन अवसर पर समदड़ी में पादार्पण हुआ। सम्पूर्ण जैन समाज के सैकड़ों व्यक्ति भव्य जुलूस के साथ साध्वी वृंद के साथ पैदल चले। समदड़ी ग्राम में अपार उत्साह दृष्टिगोचर हो रहा था। समदड़ी की साध्वी कर्णिकाश्रीजी 27 वर्ष के बाद एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी दीक्षा के बाद पहली बार जन्म भूमि में आई हैं। कर्नाटक, मुम्बई, सूरत, अहमदाबाद से भी आकर समदड़ी प्रवासियों ने साध्वीवृन्द का स्वागत किया। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने उद्वोधन में कहा- पूज्य प्रवर के निर्देशानुसार हम बालोतरा की ओर विहाररत हैं। पूज्य प्रवर की आज्ञा से आज हमारा एक माह के प्रवास हेतु समदड़ी पर्दापण हुआ है। आज भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस है। आज का दिन तेरापंथ धर्मसंघ के शिलान्यास का ऐतिहासिक दिन है। आज के दिन आचार्य भिक्षु ने धर्म क्रांति का शंखनाद किया। वह शंखनाद तेरापंथ का तोरण बन गया। भिक्षु शासन में हम सबका अभ्युदय होता रहे यही मंगलकामना है।
साध्वीश्री आगे ने कहा कि आज हम साध्वी कर्णिकाश्रीजी एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी की जन्मभूमि में आए हैं। इनकी संसारपक्षीया माताजी एवं ढेलड़िया परिवार हर्षित-पुलकित है। समदड़ी के अनेक रत्न संघ की शान बढ़ा रहे हैं, और भी आत्माओं के भीतर वैराग्य का अंकुर प्रस्फुटित हो ऐसा काम्य है। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा मेरी जन्मभूमि, कर्मभूमि एवं दीक्षाभूमि समदड़ी में आते ही अतीत की सुखद स्मृतियां मन को प्रसन्नता प्रदान कर रही है। मैं साध्वीश्री एवं सभी साध्वियों का स्वागत कर रही हूं। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कहा पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ जी ने मेरी जन्मभूमि में मुझे दूसरा जन्म प्रदान किया। यह मेरा सौभाग्य था। दीक्षा के बाद मुझे साध्वी अणिमाश्रीजी के हाथों में सौंपा, यह मेरा परम सौभाग्य था। साध्वीश्री ने मेरे जीवन का निर्माण किया है। मुझे विकास के सोपानों पर आरोहण करवाया है। मेरी जीवन निर्मात्री साध्वीश्री एवं साध्वीवृन्द का तहेदिल से स्वागत करती हूं।
साध्वी डॉ. सुधाप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु के साहस, सत्संकल्प, सकारात्मक सोच एवं समता ने धर्मक्रांति को नया रूप दिया। साध्वी समत्वयशा जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया।सभाध्यक्ष अरूण अंबानी, बालोतरा सभाध्यक्ष महेन्द्र मुथा, जोधपुर सभाध्यक्ष सुरेश जीरावला, उपासक धनराज छाजेड, महावीर ढेलडिया, अंकित ढेलडिया, दिशांत ढेलडिया, नितिशा ढेलडिया ने अपने विचार रखें। ढेलडिया परिवार की बहनों ने गीत का संगान किया। बालोतरा महिला मंडल ने मंगल संगान किया। संचालन मंजू ढेलडिया ने किया।