266वें भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर विविध कार्यक्रम

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कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली

266वें भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर विविध कार्यक्रम

तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक आचार्य भिक्षु के 266वें अभिनिष्क्रमण दिवस का आयोजन साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली के तत्वावधान में कैलाश कॉलोनी स्थित गेलड़ा सदन में अत्यंत श्रद्धा, उल्लास एवं गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन व संघर्ष को श्रद्धा से स्मरण करते हुए कहा, “चैत्र कृष्णा नवमी के दिन बगड़ी ग्राम से आचार्य भिक्षु ने महावीर वाणी को चरितार्थ करने हेतु प्रस्थान किया। उनका अभिनिष्क्रमण आगमानुसार आचार-विचार के पालन, सही साधन के प्रयोग, और लौकिक व लोकोत्तर धर्म के विवेकपूर्ण भेद की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। उन्होंने श्मशान में जैतसिंह जी की छतरी के नीचे पहली रात व्यतीत कर अपने त्याग और तपस्या का नया अध्याय लिखा।” साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा, “आचार्य भिक्षु का जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने झुकना नहीं सीखा। उन्होंने हमारे लिए एक अनुशासित, स्पष्ट और आध्यात्मिक पथ का निर्माण किया, जो आज ‘तेरापंथ’ के रूप में प्रतिष्ठित है।
यह सब उनके बलिदान, महान आचार्यों के पुरुषार्थ और वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण जी की तपशक्ति का परिणाम है।” कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने कहा - आचार्य भिक्षु तेरापंथ धर्मसंघ की आत्मा हैं। पंद्रह वर्षों तक विपरीत परिस्थितियाँ रही, तीन वर्षों तक चार तीर्थ नहीं बन पाए, 36 वर्षों तक संतों की संख्या नहीं बढ़ी, फिर भी वे अडिग रहे। आज वही धर्मसंघ अध्यात्म का ध्वजवाहक बनकर महावीर वाणी का प्रकाश जन-जन में पहुँचा रहा है।
इस भव्य आयोजन में तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष संजय चौराड़िया, हीरालाल गेलड़ा, टीपीएफ नार्थ ज़ोन संयोजक राजेश गेलड़ा, राजेश भंसाली, शिक्षा भंसाली, चेतना भंसाली, अंजना गेलड़ा, रोमी दुगड़, वृद्धि दुगड़, मिलापचंद गेलड़ा आदि ने गीत, कविता, भाषण व मुक्तकों के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति दी। गेलड़ा परिवार द्वारा सामूहिक मंगलाचरण प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जाओं से भर दिया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साध्वी कल्याणयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु एक अलबेले संत थे, जिन्होंने आत्महित हेतु जीवनपर्यंत कष्टों से संघर्ष किया। उनका जीवन अध्यात्म, आत्मविश्वास और ज्ञान-चरण-दर्शन की त्रिवेणी से आलोकित था।