2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम

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2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम

मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में 2624वां भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का भव्य आयोजन महासभा भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, कोलकाता द्वारा किया गया। इस अवसर पर महासभा कोलकाता, वृहत्तर कोलकाता की संघीय संस्थाओं के पदाधिकारी, गणमान्य अतिथि एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल, मध्य कोलकाता द्वारा मंगलाचरण से हुआ। सभा के अध्यक्ष अजय भंसाली ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों का अभिनंदन किया।
अपने उद्बोधन में मुनि जिनेशकुमार जी ने भगवान महावीर के जीवन को भारतीय संस्कृति का उज्ज्वल नक्षत्र बताते हुए कहा - वे अध्यात्म के महासूर्य, समता के महान साधक, करुणा के सागर और ज्ञान के अप्रतिम धारक थे। राजसी वातावरण में जन्म लेने के बावजूद वे विलासिता से कोसों दूर रहे और अनासक्ति, अनाग्रह, अनावेश व अनाकांक्षा का जीवन जिया।
उन्होंने भगवान महावीर को तीर्थंकर, त्रिकालदर्शी और महासिद्ध शक्तियों से संपन्न बताते हुए कहा कि उनका जीवन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस युग में था। उनके सिद्धांत – अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत – आज के युग की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं। कार्यक्रम में मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। मंच संचालन मुनि परमानंद जी द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। इस अवसर पर महासभा पंचमंडल सदस्य सुरेश गोयल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम ईस्ट जोन के कोऑर्डिनेटर प्रवीण सिरोहिया तथा तेयुप कोलकाता मेन के अध्यक्ष विवेक सुराणा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण विभिन्न ज्ञानशालाओं द्वारा प्रस्तुत प्रेरक लघु नाटिकाएं रहीं। टॉलीगंज ज्ञानशाला ने 'व्यसनों की विनाश लीला', साउथ कोलकाता ज्ञानशाला ने 'जयंती श्राविका के प्रश्नोत्तर', पूर्वांचल ज्ञानशाला ने 'क्या कहता है जैन धर्म', उत्तर हावड़ा ज्ञानशाला ने 'आनंद श्रावक का अवधिज्ञान', साउथ हावड़ा ज्ञानशाला ने 'एक सामायिक का मूल्य' विषयों पर प्रस्तुति दी। इन लघु नाटिकाओं का कुशल संचालन विजय बावलिया एवं विजय चौपड़ा ने किया। नाटिकाओं का मूल्यांकन प्रकाश मालू, सुशीला पुगलिया एवं संगीता सेखाणी द्वारा किया गया। जिनमें प्रथम स्थान पर दक्षिण हावड़ा, द्वितीय - उत्तर हावड़ा सभा और तृतीय - दक्षिण कोलकाता सभा की ज्ञानशाला रही। सभा के कोषाध्यक्ष प्रमील बाफणा ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया।