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2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम
महाश्रमण भवन के विशाल हॉल में जैन समाज को संबोधित करते हुए 'शासनश्री' साध्वी सुव्रतां जी ने कहा - महापुरुष जब धरती पर अवतरित होते हैं तो शुभ बेला, शुभ लक्षण, शुभ ग्रह-नक्षत्र अपने आप आ जाते हैं। महावीर का जन्म चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ। इसके सिवाय दीक्षा, केवल ज्ञान एवं निर्वाण की प्राप्ति भी इसी शुभ नक्षत्र में हुए। आपने अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत का पाठ पढ़ाया। जातिवाद का साम्राज्य हिलाया। स्त्री जगत को पुरुषों के तुल्य धर्म करने का अधिकार दिया। भगवान ने अपरिग्रह के संदर्भ में तीन सूत्र दिए -
1. अप्रामाणिकता से धन का अर्जन मत करो।
2. व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा करो।
3. अपने उपयोग में आने वाली वस्तुओं की सीमा करो।
'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभा जी एवं साध्वी कार्तिक प्रभा जी ने महावीर के सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए कहा - महावीर जयंती मनाना तभी सार्थक होगा जब आप महावीर के सिद्धांतों को गहराई से समझ कर अपने जीवन व्यवहारों में लाएंगे। साध्वी चिंतनप्रभा जी ने सुमधुर स्वरों से गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ महावीर अष्टकम से किया गया। उपासक विमल गुनेचा, दक्षिण दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रदीप खटेड़, अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के सी जैन, महक बरडिया, रंजना दुगड़, रिद्धि, विश्वास व दक्षिण दिल्ली महिला मंडल से शारदा डूंगरवाल, रंजना खटेड़, एवं सुमन कोठारी ने गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन संदीप डूंगरवाल ने किया। मनोज खटेड़ ने धन्यवाद ज्ञापन किया।