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2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम
तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली के तत्वावधान में साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में 2624वीं महावीर जन्म जयंती के पावन अवसर पर "वर्तमान युग में महावीर सिद्धांतों की प्रासंगिकता" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री ने कहा— भगवान महावीर एक अलौकिक महापुरुष थे, जिन्होंने जन्म से पहले ही सत्यमार्ग को पहचान लिया था तथा संयम को अपनी जीवन यात्रा का मूल आधार बनाया। उन्होंने कहा कि अहिंसा की गोद में ही त्राण, शरण और गति की प्रतिष्ठा संभव है। तभी तो मैत्री, करुणा, और दया जैसे मूल्य स्थिर होते हैं, और जीवों को अभयदान प्राप्त होता है। महावीर की बुलंद आवाज़ ने यह उद्घोषणा की थी कि सम्यक ज्ञान और सम्यक दर्शन के बिना मुक्ति संभव नहीं। जीव और जगत की व्याख्या में उन्होंने अनेकांत को माध्यम बनाया ताकि संभावनाओं को जीवित रखा जा सके। साध्वीश्री ने कहा— महावीर केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक उन्नत, प्रकाशमान विचार थे, जिन्होंने अपनी वैचारिक क्रांति के ज़रिए युग की समस्याओं को समाहित किया। वर्तमान की जितनी भी ज्वलंत समस्याएँ हैं, महावीर के विचार न केवल उनसे मुक्ति दिलाते हैं, बल्कि एक अच्छा और प्रसन्न जीवन जीने का सूत्र भी प्रदान करते हैं। साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा कि भगवान महावीर का संयम अनुपम था। उन्होंने साधना काल में वाणी का प्रयोग मानो किया ही नहीं। उनकी साधना उपशम रस से परिपूर्ण, श्रम चेतना का जीवंत रूप और समता का प्रारूप थी। कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी सौभाग्ययशा जी ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरएसएस प्रचारक महावीर कुमार ने अपने विचारों के माध्यम से महावीर सिद्धांतों की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। अणुव्रती संजय जैन (बिहारी), राजेश भंसाली, नॉर्थ ज़ोन जे.पी.एफ. के अध्यक्ष राजेश गेलड़ा, हीरालाल गेलड़ा, तेरापंथ सभा दिल्ली के उपाध्यक्ष गिरीश जैन, सभा दक्षिण दिल्ली के अध्यक्ष सुशील पटावरी आदि अनेकों लोगों ने गोष्ठी में भाग लिया। गोविंद बाफणा ने कविता और गीतिका के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सायर बैंगाणी ने कहा— समाचार पत्र का पहला पृष्ठ पढ़ते ही महावीर सिद्धांतों की प्रासंगिकता दृष्टिगोचर होती है। साध्वी कल्याणयशाजी ने कुशल संचालन करते हुए कहा कि इस युग के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर का जन्म एक आशा का जन्म है, जो निराशा के कुहासे को मिटाता है। महावीर के सिद्धांत एक प्रकाश स्तंभ की भांति हर इंसान का मार्ग प्रशस्त करते हैं।