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"अणुव्रत : आने वाले कल के विश्व का आधार” विषय पर परिसंवाद
गुजरात विश्व कोष ट्रस्ट, अहमदाबाद द्वारा आयोजित परिसंवाद "अणुव्रत: आने वाले कल के विश्व का आधार" विषय पर आयोजित हुआ, जिसमें अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि डॉ. मदनकुमार जी और अणुव्रत आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मननकुमारजी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। मुनि डॉ. मदन कुमार जी ने अपने वक्तव्य में अणुव्रत को शांति का संदेश बताते हुए इसे जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया। मुनि मनन कुमार जी ने अणुव्रत आचार संहिता की व्याख्या करते हुए इसे जीवन जीने की सच्ची कला बताया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अहमदाबाद महापौर प्रतिभा जैन ने अणुव्रत को मानव कल्याण का मार्ग बताते हुए कहा कि यह जीवन को सही दिशा देने वाली संहिता है। पद्मश्री साहित्यकार कुमारपाल भाई देसाई ने कहा कि अणुव्रत जीवन शैली को अपनाकर ही हिंसा और युद्ध ग्रस्त विश्व को शांति व सद्भाव की दिशा में अग्रसर किया जा सकता है। यह संयममय आदर्श समाज का मार्ग प्रशस्त करता है।
गुजरात सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एवं सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी पी.के. लहरी ने 'अणुव्रत आचार संहिता' और गांधी जी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा - अणुव्रत, मानव को सच्चा मानव बनाने की जीवन पद्धति है। राजेंद्र सेठिया (एडिशनल कमिश्नर, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, राजस्थान सरकार) ने अपने वक्तव्य में अणुव्रत के व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रशासनिक सेवा की चुनौतियों के बीच अणुव्रत ने मुझे सच्चे सुख की ओर अग्रसर किया।
अणुव्रत लेखक मंच के राष्ट्रीय संयोजक जिनेन्द्र कुमार कोठारी ने मंच की स्थापना और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1996 में आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के मंगल आशीर्वाद से इस प्रकल्प की नींव रखी गई थी। इसका उद्देश्य नैतिक, मानवीय और चारित्रिक लेखन को बढ़ावा देना है, ताकि सकारात्मक और संस्कारित साहित्य के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी जा सके। अणुव्रत समिति, अहमदाबाद के अध्यक्ष प्रकाश जैन ने अणुव्रत पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। नरेंद्र जैन ने परिसंवाद की भूमिका स्पष्ट की। कार्यक्रम का कुशल संचालन अणुव्रत लेखक मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक संतोष सुराणा ने किया। कार्यक्रम में साहित्यकारों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।