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2624वें भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर श्रद्धासिक्त कार्यक्रम
अहिंसा के उत्कृष्ट साधक भगवान महावीर ने पशु बलि, दास प्रथा, जातिवाद व धर्म के नाम पर हो रहे अन्यायों, कर्मकांडों व आडंबरों को अतात्विक बताते हुए उनका घोर विरोध किया। ये शब्द आचार्य श्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि सुमति कुमार ने नवनिर्मित तेरापंथ भवन में महावीर जयंती समारोह के दौरान कहे। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के संघ में चारों वर्णों के लोग दीक्षित हुए। उन्होंने दलितों को भी गले से लगाया। आज हम महावीर को मानते हैं, उनके गुणगान करते हैं, जरुरत है उनके सिद्धांतों पर चलने की। प्रमुख वक्ता डॉ. धनपत जैन ने पाँच महाव्रतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज परिग्रह वृत्ति के कारण हिंसा, चोरी, अपराध व व्याभिचार बढ़ रहे हैं। हमें सजावटी, दिखावटी, बनावटी जीवनशैली को छोड़कर सद्वृत्तियों के द्वारा जीवन का उत्थान करना चाहिए। प्रोफेसर जैन ने कहा कि सादगी का कोई विकल्प नहीं है। विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा कि परिग्रह के कारण आज आम आदमी दु:खी है। अहिंसा के महान साधक भगवान महावीर का अनेकांत का सिद्धांत समूचे विश्व को उनकी महान देन है।
मुनि देवार्य कुमार ने कहा कि हज़ारों वर्ष पूर्व दिए गए भगवान महावीर के उपदेश वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं की उस वक्त से भी ज़्यादा आज ज़रूरत है। भगवान महावीर ने न केवल लोगों को उपदेश देकर उनका कल्याण किया, अपितु स्वयं भी उन सिद्धांतों को जिया। वे त्रैकालिक व्यक्तित्व के धनी थे। मुनि आगम कुमारजी ने कहा कि भगवान महावीर ने तपस्या, ध्यान व स्वाध्याय को विशेष महत्व दिया। उनके उपदेशों से जनमानस प्रभावित व प्रबुद्ध हुआ। उनके सिद्धांत व शिक्षाएं पीड़ित मानवता के लिए त्राण हैं। सुनीता सेठिया के नेतृत्व में तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने गीतिकाएँ 'भाव भीनी उतारें तेरी आरती' व 'घर घर छायी है खुशियाँ महावीर नाम की' तथा गजसिंहपुर की बहनों ने गीतिका 'ज्योति जगाओ' प्रस्तुत की। तेरापंथ युवक परिषद द्वारा भी गीतिका प्रस्तुत की गई। मंजू जैन, व्याख्याता, रा.बा.उ.मा.वि. रायसिंहनगर ने कहा कि भगवान महावीर की शिक्षाओं से जीवन निर्माण के सूत्र मिलते हैं। सीमा बांठिया, सिद्धार्थ जैन, अनंत जैन, प्राची जैन, साक्षी पिंचा, जयप्रकाश श्यामसुखा, सोनिया गर्ग, जयदेव गोयल व टीपीएफ के डॉ. मुकेश जैन ने अपने विचारों को वक्तव्य, कविताओं एवं गीतिका के माध्यम से अभिव्यक्त किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने नमन अंचलिया के निर्देशन में भगवान महावीर के जीवन पर आधारित दो लघु नाटिकाएं प्रस्तुत कीं। पदाधिकारियों एवं विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा प्रमुख वक्ता डॉ. धनपत जैन व विशिष्ट अतिथियों डॉ. मंगत बादल व हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ. ओ.पी. अग्रवाल का सम्मान किया गया। प्रभादेवी पटावरी एवं संपत देवी सुराणा ने ज्ञानशाला के बच्चों को पुरस्कृत किया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभाध्यक्ष रवींद्र जैन ने स्वागत किया एवं सचिव डॉ. संजय बोथरा ने आभार व्यक्त किया। संयोजन प्रदीप बोथरा ने किया।