प्रेक्षा ध्यान, जीवन-विज्ञान और साहित्य के महान आचार्य को 16वें महाप्रयाण दिवस पर विविध कार्यक्रम

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महरौली

प्रेक्षा ध्यान, जीवन-विज्ञान और साहित्य के महान आचार्य को 16वें महाप्रयाण दिवस पर विविध कार्यक्रम

महाप्रज्ञ भवन में तेरापंथी सभा, दिल्ली द्वारा आयोजित महाप्रज्ञ महाप्रयाण समारोह को संबोधित करते हुए ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रता जी ने कहा— आचार्य महाप्रज्ञ का व्यक्तित्व स्वयं में एक प्रेरणा था, जो दिव्यता का दर्शन और सत्यता का स्पर्श कराता था। वे अतीत और अनागत को आलोकित करने वाले एक ज्योति-स्तंभ थे। उनके यशस्वी कर्तृत्व ने युगधारा को मोड़ने के लिए नई दृष्टि, नई सोच और नया स्वर प्रदान किया। उनकी सृजनात्मक चेतना ने ज्ञान का अकूत भंडार दिया। उनके तेजस्वी नेतृत्व ने अनगढ़ पत्थरों को प्रतिमा का आकार दिया। उन्होंने तेरापंथ संघ को हिमालय जैसी ऊंचाई और सागर जैसी गहराई प्रदान की।
'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभा जी ने कहा— आचार्य महाप्रज्ञ ने एक छोटे से ग्राम में जन्म लिया था। किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि यह शिशु अध्यात्म जगत के शिखर पर धर्मध्वजा फहराएगा, एक दिन मूर्धन्य साहित्यकार बनेगा और आगम का कुशल भाष्यकार सिद्ध होगा। लेकिन आचार्य तुलसी की सन्निधि में रहकर उन्होंने यह सभी विशेषताएं अर्जित कीं।
साध्वी कार्तिकप्रभाजी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने पुरुषार्थ की डोर और विनम्रता की पतंग से नील गगन की ऊंचाइयों को छू लिया। साध्वी चिंतनप्रभाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति में कहा— जन-जन के जीवन को उजालों से भरने वाले, हर समस्या का समाधान देने वाले, कालूगणी की कालजयी रचना का नाम 'महाप्रज्ञ' था। कार्यक्रम का शुभारंभ दक्षिण दिल्ली के महिला मंडल ने किया।
तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, दिल्ली तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, कल्याण परिषद के संयोजक एवं अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के. सी. जैन, दिल्ली तेरापंथ सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, अणुव्रत समिति के मंत्री राजेश बैंगानी तथा तेरापंथ युवक परिषद की ओर से करुण सेठिया ने आचार्य महाप्रज्ञ के चरणों में श्रद्धा समर्पित की। कार्यक्रम का कुशल संयोजन महरौली तेरापंथ भवन के व्यवस्थापक संदीप डूंगरवाल ने किया।