‘प्रेक्षा प्रवाह - शक्ति एवं शांति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन

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उत्तर हावड़ा।

‘प्रेक्षा प्रवाह - शक्ति एवं शांति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन

मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अभातेममं द्वारा निर्देशित ‘प्रेक्षा प्रवाह: शक्ति एवं शांति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ महिला, उत्तर हावड़ा द्वारा किया गया। इसमें उत्तर हावड़ा, साउथ कलकत्ता, साउथ हावड़ा, टांलीगंज, बेहाला और बाली-बेलर क्षेत्रों के तेरापंथ महिला मंडलों की सहभागिता रही। मुनिश्री ने उपस्थित बहनों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराये तथा उद्बोधन में प्रेक्षाध्यान और डिप्रेशन विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, 'प्रेक्षाध्यान - तनाव मुक्ति की उत्तम प्रक्रिया है। प्रेक्षाध्यान का एक महत्त्वपूर्ण चरण है - कायोत्सर्ग । कायोत्सर्ग आभ्यन्तर तप है, ध्यान की पृष्ठभूमि है, अनासक्ति की साधना है। कायोत्सर्ग का अर्थ है शरीर के प्रति आसक्ति को छोड़ना।
मुनि श्री ने आगे कहा, 'आज का युग तनाव का अवसाद का युग है। तनाव तीन प्रकार का होता है। शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक तनाव। तनाव से नाना प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं, सोचने की क्षमता कम हो जाती है, स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है। शरीर, मन और भाव पर भी बुरा असर पड़ता है। इसलिए व्यक्ति तनावमुक्ति का जीवन जीएं।' कार्यशाला का शुभारंभ सभी शाखा मंडलों की बहिनों द्वारा मंडल गीत के सामूहिक संगान से हुआ। स्वागत भाषण उत्तर हावड़ा महिला मंडल की उपाध्यक्ष सीमा बैद ने दिया। मनोचिकित्सक डा. अभय डे ने 'डिप्रेशन के प्रभाव' विषय पर वक्तव्य दिया। प्रेक्षा ट्रेनर अंजु सिंघी ने योगाभ्यास एवं माधुरी बाबेल ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। आभार एवं संचालन मंत्री रेणु समदरिया ने किया।