ज्ञान और उसके आचरण से मैन बनता है गुड मैन : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

काणोदर। 8 मई, 2025

ज्ञान और उसके आचरण से मैन बनता है गुड मैन : आचार्यश्री महाश्रमण

शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी पालनपुर का त्रिदिवसीय प्रवास संपन्न कर अपनी धवल सेना के साथ लगभग नौ किमी का विहार कर काणोदर के एस. के. एम. हाई स्कूल में पधारे। पदार्पण हुआ। पूज्यवर ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि चार बातें बताई गई हैं — ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप। ज्ञान के द्वारा प्राणी पदार्थ को जानता है। बुद्धि है, बुद्धि का उपयोग होता है, तो आदमी ज्ञान प्राप्त कर लेता है। ज्ञान पर श्रद्धा दर्शन से होती है। जान लिया, श्रद्धा हो गई, तो फिर व्यक्ति जीव को नहीं मारता है। मारने का त्याग कर लेता है, तो वह चरित्र बन जाता है। फिर वह तपस्या करता है। उससे पाप कर्म झड़ते हैं, आत्मा शुद्ध बनती है। ज्ञान का जीवन में बहुत महत्व है। उसे समझोगे तभी वह भीतर में उतरेगा। विद्यालयों में भी ज्ञान दिया जाता है। विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं। अध्यापक ज्ञान देने का प्रयास करते हैं। विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण किया जाता है। ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार देने का प्रयास भी चलता रहे।
विद्यार्थी में गुस्सा न हो, भाषा सभ्य हो। किसी को बिना मतलब कष्ट न दें — यह अहिंसा का संस्कार है। जीवन में ईमानदारी का संस्कार भी आए। ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है — यह बात जीवन में आए। जीवन में नशामुक्ति रहे। विद्यार्थी का ज्ञान बढ़े। कोरा ज्ञान अधूरा है, तो कोरा चारित्र भी अधूरा है। ज्ञान के साथ चरित्र हो तो पूर्णता आ सकती है। 23 वर्ष पूर्व पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी इसी विद्यालय में पधारे थे। जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रहे। विद्यार्थी अच्छे होते हैं, तो देश और समाज को सेवा दे सकते हैं। वे विश्वविख्यात बन सकते हैं। प्रार्थना सभा में जीवनोपयोगी संस्कार दिए जाएँ, तो वह विद्यार्थी जीवन में कल्याणकारी सिद्ध हो सकते हैं। शिक्षा से व्यक्ति लर्निंग और अर्निंग का कार्य कर सकता है। पढ़ाई सिर्फ कमाई के लिए न हो। बौद्धिकता से अच्छा कार्य, अच्छी सेवा की जा सकती है। दूसरों को आध्यात्मिक शांति पहुंचा सकते हैं। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम व्यक्ति को संस्कारी बना सकते हैं। शिक्षा के साथ जीवन-विज्ञान का पाठ्यक्रम चले, तो जीवन जीने का तरीका ज्ञात हो सकता है। पुरुषार्थ करने से अच्छी निष्पत्ति आ सकती है। अच्छे शिक्षण से अच्छा निखार आ सकता है। मैन 'गुड मैन' बने।
विद्यालय में अनुशासन की भी बात होती है। जब कोई विद्यार्थी बड़े पद पर आ जाता है, तो उसका विद्यालय के प्रति अहोभाव जागता है कि मैं अमुक विद्यालय में पढ़ा था। विद्या संस्थान ही मूलतः बड़ी सेवा का अवसर है। विशेष अवसरों पर अच्छी प्रेरणाएँ दी जा सकती हैं। इंसान अच्छा बन जाए। जीवन में नैतिकता आए। अच्छे नागरिक बनें। पूज्यवर के स्वागत में विद्यालय की प्रिंसिपल बिन्दुबेन ठक्कर एवं उपाध्यक्ष मोहम्मद भाई सुरसुरा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। मुनि अक्षयप्रकाशजी ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।