जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी है नारी

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कांटाबांजी।

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी है नारी

अभातेममं के निर्देशानुसार ‘मातृत्व यात्रा’ एवं ‘प्रेक्षा प्रवाह: शक्ति एवं शांति की ओर’ विषयक कार्यशाला का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन में समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी के सान्निध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल द्वारा प्रेरणा गीत के संगान से हुई। महिला मंडल की अध्यक्षा आशा जैन ने मातृत्व विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण गर्भकाल से ही प्रारंभ हो जाना चाहिए, क्योंकि यही हमारे समाज और देश का भविष्य हैं। तत्पश्चात समणी डॉ. मानस प्रज्ञा जी ने मातृत्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माँ ही बच्चे की पहली गुरु एवं प्रथम संस्कारक होती है। उन्होंने कई प्रेरक उदाहरणों द्वारा मातृत्व की भूमिका को प्रभावशाली ढंग से समझाया।
समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी ने ' मातृत्व एवं नारी' विषय पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि आचार्य श्री तुलसी नारी उत्थान के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने नारी को समाज के सम्मुख मुखरता से अपने विचार रखने की प्रेरणा दी। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज नारी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। समणी जी ने मातृत्व की गरिमा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि गर्भावस्था में माताओं को न तो अत्यधिक मीठा, न बहुत गर्म अथवा ठंडा, अपितु सात्विक एवं संतुलित भोजन ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि विचारों की शुद्धता से ही संस्कारित संतान का जन्म होता है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों का पालन-पोषण स्वयं माता-पिता को करना चाहिए, उसे आया के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि संस्कार माता-पिता ही दे सकते हैं, आया केवल पालन कर सकती है। मंत्री रितु जैन ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया एवं पूजा जैन ने आभार व्यक्त किया।