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मातृत्व कार्यशाला का आयोजन
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल एवं प्रेक्षा फ़ाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल हैदराबाद द्वारा ‘प्रेक्षा प्रवाह: शक्ति एवं शांति की ओर’ एवं मातृत्व कार्यशाला का भव्य आयोजन साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में राघवेंद्र कॉलोनी, शिवरामपल्ली में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से किया गया। इसके उपरांत महिला मंडल की बहनों द्वारा प्रेरणा गीत की प्रस्तुति हुई। महिला मंडल हैदराबाद की अध्यक्ष कविता आच्छा ने कार्यशाला में पधारी सभी बहनों का आत्मीय स्वागत किया। साध्वी दक्षप्रभा जी ने ‘कौन लिखता है यहां नींव का इतिहास’ गीतिका का संगान किया। साध्वी मयंकप्रभा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि, ' माता द्वारा गर्भावस्था में दिए गए संस्कार ही शिशु के व्यक्तित्व की नींव बनते हैं।' साध्वी मेरुप्रभा जी ने अपनी सुमधुर वाणी में ‘मां की महिमा’ का भावपूर्ण संगान प्रस्तुत कर वातावरण को भावविभोर कर दिया।कार्यशाला की मुख्य वक्ता, आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. लता श्रीवास्तव ने गर्भधारण से लेकर संतान जन्म तक की संपूर्ण प्रक्रिया पर विस्तृत और ज्ञानवर्धक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला को अपने आहार, व्यवहार, मानसिक संतुलन, दिनचर्या एवं ध्यान-साधना के प्रति विशेष जागरूकता रखनी चाहिए। साथ ही उन्होंने बहनों की जिज्ञासाओं का समाधान भी दिया।
साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा, ' गर्भवती महिला में सहनशीलता, मधुर व्यवहार, सुदृढ़ इच्छाशक्ति तथा समवृति व दीर्घ श्वास प्रेक्षा जैसी साधनाओं द्वारा एक स्वस्थ और संस्कारित शिशु के जन्म का आधार तैयार किया जा सकता है।' विशेष अतिथि के रूप में सूरत से पधारे उपासक निलेश चोपड़ा ने विषय के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का कुशल संचालन शिल्पा सुराणा ने किया। मुख्य वक्ता का परिचय संयोजिका कुसुम सिपानी ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन महिला मंडल की मंत्री सुशीला मोदी ने किया। कार्यक्रम का सार-संग्रह परामर्शिका सरला भूतोडिया ने एक कविता के रूप में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्राविकाओं की उपस्थिति रही, जिन्होंने मातृत्व के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक व संस्कृतिक पहलुओं से जुड़कर इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बनाया।