
गुरुवाणी/ केन्द्र
योग के माध्यम से संभव है शक्ति और शांति की प्राप्ति : आचार्यश्री महाश्रमण
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पावन अवसर पर, योग निरोध की प्रेरणा प्रदान करने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ अहमदाबाद की सीमा में मंगल प्रवेश किया। तपोवन स्थित मोहनलाल परमार के स्व. बंगले में पूज्यवर का पदार्पण हुआ। अहमदाबाद के श्रावक-श्राविका समाज ने भावपूर्ण स्वागत एवं अभिवंदन किया। मंगल देशना प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने फरमाया कि जीवन में शक्ति का अत्यंत महत्व है। शक्ति होने पर ही व्यक्ति सेवा, साधना और कर्तव्यपालन कर सकता है। जैन दर्शन में वर्णित आठ कर्मों में अंतिम कर्म है—अंतराय कर्म, जो व्यक्ति की शक्ति और ऊर्जा को प्रभावित करता है। जब अंतराय कर्म का क्षयोपशम होता है, तो व्यक्ति के मार्ग की बाधाएँ हट सकती हैं। शक्ति कई रूपों में हो सकती है—शारीरिक, मानसिक, वाचिक अथवा सामाजिक। यदि किसी को विशेष शक्ति प्राप्त हो, तो उसे दो बातों पर ध्यान देना चाहिए—पहला, शक्ति का दुरुपयोग न हो; और दूसरा, उसका सदुपयोग हो। अध्यात्म जगत में भी शक्ति का विशेष स्थान है।
आचार्यश्री ने कहा कि योग साधना जीवन की श्रेष्ठ संपत्ति बन सकती है। योग-विरहित जीवन अधूरा है। योग के माध्यम से व्यक्ति को शक्ति और शांति—दोनों की प्राप्ति हो सकती है। गुरुदेव तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञजी को जैन योग के पुनरुद्धारक के रूप में स्वीकार किया था। उन्होंने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया और उसका विस्तार किया। वर्तमान में प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के अंतर्गत उसकी स्वर्णजयंती मनाई जा रही है। प्रेक्षाध्यान भी योग की एक सशक्त विधा है। योग केवल आसन और प्राणायाम नहीं, बल्कि जीवन की प्रत्येक क्रिया में समाहित हो सकता है। चलना 'गमन योग' है। भावना, चिन्तन और प्रतिक्रमण भी योग की श्रेणी में आते हैं। एक समय में एक ही कार्य करने से चित्त एकाग्र होता है, जो योग साधना का मूल है। योग हमें मोक्ष मार्ग की ओर भी ले जाता है। धर्म की वह प्रवृत्ति जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है—वही योग बन जाती है। साधुत्व का पूर्ण पालन भी एक उच्चकोटि की योग साधना है। हम सब को योग की आध्यात्मिक दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज हमारा अहमदाबाद में आना हुआ है। अब अहमदाबाद में चतुर्मास होना है। व्यवस्था समिति के सामने भी एक बड़ा काम है। कब से लगना होता है और अब मौका एकदम सामने हैं। व्यवस्था समिति के कार्यकर्ता हैं, अरविंदजी संचेती हैं, दिमाग एकदम शांति में रहे, दिमाग ठंडा रहे, बात करने में शांति रहे, कार्यकर्ता शांति में रहें, अच्छा उत्साह रहे। मत-भिन्नता स्वाभाविक है, पर निर्णय और क्रियान्वयन में एकता बनी रहनी चाहिए। परस्पर सौहार्द का भाव रहे। पूरा समाज इस चतुर्मास का अच्छा लाभ उठाने का प्रयास करे, यह काम्य है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि आज विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है। भारतीय प्राचीन परंपरा में योग को अत्यधिक महत्व दिया गया है। योग आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सेतु है। आचार्य महाप्रज्ञजी ने न केवल जैन योग पर ग्रंथ लिखा, बल्कि स्वयं योग को जीवन में जीया। उनकी एकाग्रता और आत्मशक्ति का यही रहस्य था। वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमणजी के जीवन में भी योग सधा हुआ है। वे योगनिष्ठ जीवन जीते हैं। जैसा कहा, वैसा किया—यही सच्ची योग साधना है। आप वास्तव में एक महायोगी हैं। युगप्रधान आचार्यश्री के स्वागत में अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष अरविंद संचेती, स्व बंगलो के ऑनर दानमल पोरवाल, महेन्द्र पोरवाल, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष रमेश डागा ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने ज्ञानार्थियों को मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। तेरापंथ महिला मण्डल, अहमदाबाद ने स्वागत गीत का संगान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेशकुमारजी ने किया।