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ज्ञानशाला शिविर में अनुशासन और नैतिक मूल्यों की मिली प्रेरणा
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का भव्य समापन हुआ। बोथरा भवन में आरंभ हुआ यह शिविर शांति निकेतन सेवा केंद्र में समापन अवसर तक बच्चों के लिए प्रेरणादायक अनुभव बना रहा। शिविर के शुभारंभ अवसर पर मुनिश्री ने ज्ञानार्थी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, “विनय हमारा मूल धर्म है। जो बच्चा विनयवान होता है वह न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करता है, बल्कि समाज में सम्मान और विश्वास भी अर्जित करता है।” उन्होंने आगे कहा कि आत्मज्ञान ही परम ज्ञान है और स्कूल की पढ़ाई केवल सांसारिक ज्ञान देती है जबकि ज्ञानशाला आत्मकल्याण की दिशा में अग्रसर करती है। उन्होंने गीतिका के माध्यम से बच्चों को अनुशासन और श्रम के महत्व की सीख दी।
शिविर के अंतिम दिवस पर मुनि कमलकुमार जी ने सामायिक की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि "एक सामायिक 48 मिनट में साधु के समान बन जाने के तुल्य होती है। इस काल में सभी सांसारिक कर्तव्यों का त्याग कर आत्मशुद्धि की ओर बढ़ा जा सकता है उन्होंने मौन, स्वाध्याय एवं ध्यान की साधना करने का भी आह्वान किया और कहा कि सत्य, अहिंसा व तप ही धर्म के स्तंभ हैं। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को प्रेमपूर्वक सही मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करें, समय दें और उनकी निरंतरता बनाए रखें, ताकि वे शांत, अनुशासित एवं आत्मिक रूप से समृद्ध बन सकें। अंतिम दिन 'शासनश्री' साध्वी शशिरेखाजी, साध्वी विशदप्रज्ञाजी, साध्वी लब्धियशा जी एवं समणी नियोजिका मधुरप्रज्ञा जी के सान्निध्य में शिविर का समापन समारोह संपन्न हुआ। इस तीन दिवसीय शिविर में 50 से अधिक ज्ञानार्थी बच्चों ने भाग लिया। शिविर को सफल बनाने में तेरापंथी सभा गंगाशहर, ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका बहनों, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल एवं ज्ञानशाला की महत्वपूर्ण भूमिका रही।