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गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर विविध आयोजन
प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना केंद्र परिसर, बेंगलुरु में चल रहे अष्ट दिवसीय प्रेक्षाध्यान साधना शिविर के दौरान आचार्य श्री तुलसी का 29वाँ महाप्रयाण दिवस साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में मनाया गया। शिविर में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए साध्वीश्री ने कहा — “अध्यात्म जगत के ख्यातनाम धर्मगुरु, 20वीं सदी के महानायक, समाज सुधारक और महामानव आचार्य श्री तुलसी तेरापंथ की धरती पर भोर की पहली किरण बनकर अवतरित हुए। वे धूप की भांति खिले और प्रचंड सूर्य की तरह तपकर इस जगत की तमिस्रा को उजाले से भर दिया। उन्होंने अपनी चिंतन शक्ति और कर्म शक्ति से धर्मसंघ को सशक्त बनाया। वे एक निर्भीक नेता, सजग चेतक और युगद्रष्टा थे। संघर्षों के आगे कभी नहीं झुके और समाज को नए-नए अवदान प्रदान किए।” उन्होंने कहा — “आज का यह दिन ‘विसर्जन दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। प्रेक्षाध्यान के माध्यम से हम अपने कषायों का विसर्जन करें। आत्म-परिचय के लिए हमें भीतर से हल्का होना आवश्यक है — इसके लिए अहंकार, अशुभ व नेगेटिव भावों का विसर्जन करना होगा।” साध्वी मार्दवश्री जी ने श्वास-दर्शन को विसर्जन का सरल उपाय बताते हुए कहा — श्वास को देखते हुए व्यक्ति अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बीमारियों का विसर्जन कर सकता है।” उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्वास्थ्य की महत्ता को रेखांकित किया। साध्वी मनीषाप्रभाजी ने कहा — आचार्य श्री तुलसी महान आचार्य थे। उनका जीवन अवदानों का प्रतीक है। जब महापुरुषों ने अपने दोषों व कषायों का विसर्जन किया, तभी वे महान बन सके। प्रेक्षा प्रशिक्षक एवं साउथ कोऑर्डिनेटर तथा शिविर की संयोजिका वीणा बैद, मुंबई से पधारे प्रेक्षा प्रशिक्षक बिनोद राठौर, प्रेक्षा प्रशिक्षक छत्र सिंह मालू तथा प्रेक्षाध्यान शिविर, बैंगलोर की टीम के सदस्य उपस्थित रहे।