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गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर विविध आयोजन
आचार्य तुलसी महाप्रयाण दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रता जी ने कहा — “तुलसी एक व्यक्ति नहीं, एक विचार थे। वे मानवीय मूल्यों के प्रतिष्ठापक थे। उनका वचन वरदान था, चिंतन साधना था और कर्म अवदान था। आगम संपादन, पूर्वाचार्यों का जीवन-लेखन, प्रवचन आदि के माध्यम से उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में हृदय खोलकर कार्य किया। उनका साहित्य पढ़ने पर प्रतीत होता है मानो संस्कारों का सुधा-कलश है। यह अतीत और अनागत का प्रतिबिंब है, युगीन समस्याओं का समाधान है और जीवन का मंगल पाथेय है।”
कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा मंगलाचरण तुलसी अष्टकम् से किया गया। ‘शासनश्री’ साध्वी सुमनप्रभा जी ने आचार्य तुलसी के जीवन की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा — “वे एक शक्तिसंपन्न आचार्य थे। उनकी दृष्टि में जादुई प्रभाव था। अनुशासन की आँख से देखते तो धरती काँप जाती थी, प्रेम की आँख से देखते तो हृदय उल्लास से भर उठता था। आपने पत्थरों को तराश-तराश कर उन्हें प्रतिमा का रूप दे दिया।” साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा — उनके विराट व्यक्तित्व को शब्दों में बाँधना कठिन है। वे शब्दातीत, कालातीत और उपमातीत थे। समारोह में आए हुए समस्त श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत रोहिणी सभा के सभाध्यक्ष विजय जैन ने किया एवं आचार्य तुलसी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, अभातेममं की चीफ ट्रस्टी पुष्पा बैंगाणी, कमल बैंगाणी, पश्चिम विहार सभा के अध्यक्ष श्यामलाल जैन, मानसरोवर गार्डन के अध्यक्ष नरेन्द्र पारख, मध्य दिल्ली महिला मंडल की अध्यक्षा दीपिका छल्लाणी, दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष बिमल बैगाणी, अणुव्रत समिति दिल्ली के मंत्री राजेश बैंगाणी, रोहिणी सभा के उपाध्यक्ष बिरधी चन्द जैन, नरपत मालू, अणुव्रत न्यास के ट्रस्टी डालमचन्द्र बैद, शांतिलाल जैन, ज्ञानशाला की परामर्शक मनफूलबाई बोथरा, पीतमपुरा सभा के मंत्री वीरेंद्र जैन, उत्तरी दिल्ली महिला मंडल से प्रवीण सिंघी और हिम्मत राखेचा सहित कई गणमान्य जनों ने तुलसी चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अंत में रोहिणी सभा के मंत्री राजेन्द्र सिंघी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी चिंतनप्रभा जी ने किया।