गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर विविध आयोजन

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डीडवाना

गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर विविध आयोजन

साध्वी गुप्तिप्रभाजी के सान्निध्य में नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी की पुण्यतिथि पर डीडवाना जैन भवन में एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभा को संबोधित करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि महिला मंडल द्वारा इस अवसर पर दिया गया विषय "विसर्जन से सर्जन की ओर" अत्यंत सारगर्भित है। आचार्य श्री तुलसी का संपूर्ण जीवन ही विसर्जनमय रहा। 18 फरवरी 1994 को सुजानगढ़ में उन्होंने आचार्य पद का विसर्जन किया। उस अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि “हम जैसे नेताओं के समक्ष विपरीत परिस्थिति भी आ जाए, तब भी हम सत्ता नहीं छोड़ते, पर आचार्य तुलसी ने सक्रिय और समर्थ होते हुए भी पद का त्याग कर दिया।” उन्होंने न केवल पद का, बल्कि अपने समय का भी विसर्जन किया और सैकड़ों व्यक्तित्वों का निर्माण किया—जैसे आचार्य श्री महाप्रज्ञजी, शासनमाता साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी एवं अनेक साधु-साध्वियां। उन्होंने प्रमाद का विसर्जन कर साहित्य का सर्जन किया। आचार्य तुलसी के जीवन को शब्दों में बाँधना मानो गागर में सागर भरने के समान है। साध्वी मौलिकयशाजी ने आचार्य श्री तुलसी की स्तुति करते हुए कहा कि जैसे तुलसी का पौधा पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, वैसे ही आचार्य तुलसी भी आध्यात्मिक ऊर्जा के सजीव स्रोत थे। भगवान महावीर ने चार तीर्थों की स्थापना की, वहीं आचार्य तुलसी ने पाँचवें तीर्थ की स्थापना कर नारी जाति के उत्थान में ऐतिहासिक योगदान दिया। महिला मंडल की वर्तमान उन्नति उन्हीं की महान देन है। साध्वी भावितयशाजी ने सुमधुर गीतिका के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। महिला मंडल द्वारा सामूहिक गीत प्रस्तुत किया गया। तेरापंथी सभा के मंत्री पवन खटेड़, महिला मंडल मंत्री रचना खटेड़, दिव्या चौपड़ा और बबीता श्रीमाल ने शब्द-चित्र के माध्यम से अपने आराध्य आचार्य की भावपूर्ण स्तुति की। गायक कुलदीप मणोत ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत कर सभा को भावविभोर किया। श्रेयांस संचेती और प्रिंस मणोत ने कविताओं के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। संचालन चार्मी खटेड़ ने किया।