‘प्लग इन टू रूट, टू गेट बेटर फ्रूट’ थीम पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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तंडियारपेट, चेन्नई।

‘प्लग इन टू रूट, टू गेट बेटर फ्रूट’ थीम पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी उदितयशा जी के सान्निध्य में, तेरापंथ सभा के तत्वावधान में माण्डोत गार्डन में ‘प्लग इनटू रूट, टू गेट बेटर फ्रूट’ (Plug into Root, to Get Better Fruit) विषयक कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के समुच्चारण से हुआ, जिसके पश्चात सभा सदस्यों द्वारा मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया गया। प्रशिक्षण प्रदान करते हुए साध्वी उदितयशाजी ने कहा कि "हमारी शक्ति का मूल स्रोत संगठन है। प्रत्येक कार्यकर्ता का चिंतन, व्यवहार व हर कदम संगठन को सुदृढ़ बनाने में सहायक हो। आचार्य भिक्षु द्वारा स्थापित तेरापंथ धर्मसंघ समर्पण पर आधारित संगठन है, जिसका प्राणतत्त्व है– 'अहम् विलय' और 'अहंकार विसर्जन'।'
साध्वीश्री ने आगे कहा, "हम पद और अधिकारों से अधिक चिंतन के विस्तार द्वारा संघ सेवा में योगदायी बनें। किसी भी संगठन में – चाहे वह पारिवारिक हो, सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक – अनुशासन का होना अनिवार्य है। कार्यकर्ता का श्रम संगठन को नवीन ऊर्जा देने वाला हो। मनभेद और मतभेद की गांठों को सुलझाने वाला बनें। हम केवल कार्यक्रम न करें, वास्तविक कार्य करें।'
साध्वीश्री ने कहा कि "संगठन का मूल आधार है – अध्यात्म। हम मूल में भूल न करें। जहां श्रद्धा हो, वहां सामंजस्य रखें। ‘श्रावक संदेशिका’ में उल्लिखित नियमों और तथ्यों की जानकारी प्रत्येक कार्यकर्ता को होनी चाहिए। उलझनों को अध्यात्म के माध्यम से सुलझाया जाए। आत्मनिरीक्षण करते हुए आगे बढ़ें और श्रावक कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभाएं।'
प्रश्नोत्तर सत्र में साध्वीश्री ने श्रावक समाज की जिज्ञासाओं का समाधान भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए साध्वी संगीतप्रभा जी ने कहा, "तेरापंथ का श्रावक कार्यकर्ता संयमी, त्यागी और कर्तव्यनिष्ठ होता है। हमें संघ के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर संघ-ऋण से उऋण बनने का प्रयास करना चाहिए।' साध्वी भव्ययशा जी ने संगठन के लिए "GST" की संकल्पना प्रस्तुत की – G अर्थात Gratitude (कृतज्ञता) – कार्यकर्ता के प्रति आदर और प्रमोद भाव रखें। S अर्थात Sacrifice (बलिदान) – सैनिक की भांति संगठन के लिए समर्पित रहें। T अर्थात Trust (विश्वास) – विश्वसनीय बनें, क्योंकि ज्ञान और धन पुनः प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन टूटा हुआ विश्वास दोबारा नहीं जुड़ता। साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने ध्यान साधना के माध्यम से नौ मंगल भावनाओं की अनुभूति कराते हुए उपस्थितजनों को भावित किया। तीन घंटे तक चली इस प्रशिक्षण कार्यशाला में चेन्नई के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं सहभागी बने। माण्डोत गार्डन की ओर से पूनमचंद माण्डोत ने विचार प्रकट किए एवं सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड ने सभी का आभार प्रकट किया।