
अहिंसा और मैत्री भावना जीवन में परिलक्षित हो : आचार्यश्री महाश्रमण
बेगु, 25 नवंबर, 2021
तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी मेवाड़ के बेगु शहर में पधारे। बेगु में तेरापंथ के आचार्यों में पूज्यप्रवर का प्रथम बार पदार्पण हो रहा हैं बेगु का हर श्रावक पूज्यप्रवर की अभिवंदना में हर्षित है। जैन-अजैन सभी लोग पूज्यप्रवर का स्वागत करने को आतुर थे। महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान होता है, तो आदमी का आचार भी सम्यक् हो सकता है। आदमी को ज्ञान हो कि मेरी आत्मा का कल्याण कैसे होगा, मुझे कौन से रास्ते पर चलना चाहिए तो आदमी वैसा आचरण कर सकता है। कुछ लोग दुनिया में जानते तो हैं, पर कर नहीं सकते। कुछ लोग करने में सक्षम होते हैं, पर कैसे करना ये ज्ञान नहीं होता। ऐसे कुछ-कुछ लोग होते हैं, जिनमें ज्ञान भी होता है और ज्ञानानुसार करने की क्षमता भी होती है। ज्ञान सम्यक् हो तो यही आचरण की संभावना बन सकती है। हमारी दुनिया में कितने ग्रंथों में कितना ज्ञान भरा पड़ा है, पर सार भी समझ में आ जाए तो कल्याण हो सकता है। ‘वेद-पुराण’ कुरान के सारे अक्षर धोय। प्रेम-प्रेम लिख डालिए, कुछ नुकसान न होय।’ सार की बात है, प्रेम की भावना, अहिंसा-मैत्री। ज्ञान अनंत है। समय कम है। जीवन काल में बीच में बाधाएँ भी आ जाती हैं। सारभूत को पढ़ लो, जैसे हंस पानी को छोड़ देता है, और दूध को ग्रहण कर लेता है। आचार्य संयमभव व मुनि मनन का घटना प्रसंग समझाया कि किस तरह उन्होंने सार रूप में दशवैकालिक आगम की रचना की थी। मुनि मनन का कल्याण कर दिया। जीवन में सार को ग्रहण करें। अहिंसा-मैत्री हमारे जीवन में आए। सभी प्राणियों के प्रति मैत्री गुणवानों के प्रति प्रमोद भाव रहे। जो दु:खी हैं, उनके प्रति करुणा का भाव एवं विपरीत वृत्ति में मध्यस्थ रहे। ये चार भावनाएँ हैं, इनका हम अभ्यास करें। दूसरों को सुखी देखकर हमें कभी दु:खी नहीं बनना चाहिए। दूसरों को दु:खी देखकर हमें कभी सुखी नहीं बनना चाहिए। धर्म का सिद्धांत हैसमता-शांति रखो। पूज्यप्रवर ने अहिंसा यात्रा के सूत्रों को समझाकर स्वीकार करवाए। बेगु से मेवाड़ की विदाई हो रही है। मेवाड़ की जनता में खूब शांति रहे, चित्त में समाधि रहे। खूब आध्यात्मिकता बनी रहे। मेवाड़ का अच्छा प्रवास रहा। पूज्यप्रवर ने वसुंधरा राजे सिंधिया को आशीर्वचन फरमाया। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में महिला मंडल, डांगी परिवार, सभाध्यक्ष मदन डांगी, सभा मंत्री प्रदीप डांगी, ओसवाल समाज से बरदीचंद कोठारी, श्रमण संघ अध्यक्ष बलवंत सिंह सुराणा, दिगंबर समाज से अभय कुमार लुहाड़िया, बेगू नगरपालिका चेयरमैन रंजना शर्मा, विवेक धाकड़, नेमीचंद डांगी, पीयूष बाबेल, विजय नागौरी, नरेंद्र पुरोहित, राजकुमार फत्तावत भेरूलाल बाफणा ने अपनी भावना रखी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए एवं अपनी भावना अभिव्यक्त की। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि आज मेरे लिए खुशी का मौका है कि मुझे आचार्यश्री के दर्शन का मौका प्राप्त हुआ है। दस वर्ष पहले आपका मेवाड़ में पदार्पण हुआ तब आपका स्वागत किया था।
आज मेवाड़ से विदाई हो रही है। आचार्यप्रवर के तीन संदेशों को हमने भी अपनाने की कोशिश की है। राजस्थान को आगे बढ़ाने के लिए ये संदेश बहुत महत्त्वपूर्ण है।