ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी : आचार्यश्री महाश्रमण

बड़लियास, 22 नवंबर, 2021
जिन शासन उद्धारक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रात: लगभग 11 किमी का विहार कर ंबड़लियास ग्राम में पधारे। परमपूज्य आचार्यप्रवर ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि अपने आप सत्य की खोज करो। स्वयं सत्य खोजो और सबके साथ मैत्री करो। यथार्थ ज्ञान प्राप्त करना सत्य की प्राप्ति करना होता है। विद्यालयों में विद्यार्थी पढ़ते हैं, ज्ञान प्राप्त करते हैं। ज्ञान प्राप्त करना भी जीवन की एक उपलब्धि हो सकती है। शिक्षा संस्थानों में ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। लौकिक विषयों के साथ कुछ अध्यात्म विद्या, जीवन विद्या भी पढ़ाई जाती होगी। विद्यार्थियों में संस्कार भी अच्छे आएँ। ईमानदारी, मैत्री, नशामुक्‍ति और संयम रखने का संस्कार आएँ। ज्ञान के समान कोई पवित्र चीज नहीं। ज्ञान के साथ अच्छे संस्कारों की शिक्षा भी मिलती रहनी चाहिए। एक द‍ृष्टांत से समझाया कि परमात्मा सभी को देखते हैं, उनसे छिपा हुआ कुछ नहीं हो सकता। इसलिए बुरा काम नहीं करना चाहिए। ऐसी शिक्षाएँ विद्यालयों में मिलती रहे। ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी ये जीवन में आए तो बढ़िया बात हो सकती है। यह भी एक प्रसंग से समझाया। बच्चे ही आगे चलकर बड़े आदमी बनते हैं। आदमी में ईमानदारी के साथ मैत्री भी रहे। यह भी एक प्रसंग से समझाया कि बिना मतलब झगड़ा न करें। बच्चों में संस्कार आएँ कि नशा नहीं करना। नशीली चीजों के सेवन से बचें। विद्यार्थी समाज का, देश का भविष्य होते हैं। माता-पिता भी ध्यान दें कि बच्चों को घर में भी अच्छे संस्कार मिलें। विद्यालय में, माता-पिता से, टीवी से एवं धर्मगुरुओं से अच्छे संस्कार मिलें। चारों ओर से संस्कारों की वर्षा होती रहे, तो विद्यार्थियों में अच्छे संस्कार आ भी सकते हैं। कोरोना की स्थिति ने पूरे विश्‍व को चपेट में ले लिया था, मन में अभय, शांति और समता का भाव रहे। संयम की चेतना रहे। बालक, पालक, शिक्षक और संचालक यह ध्यान दें कि कैसे ज्ञान और अच्छे संस्कार का विद्यार्थियों में विकास हो। विद्यार्थी की चेतना व समाज और राष्ट्र अच्छा बन सकेगा। बाल पीढ़ी पर ध्यान देकर उसका अच्छा विकास होना वांछनीय है। पूज्यप्रवर ने अहिंसा यात्रा के तीन सूत्र समझाकर स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में बड़लियास की ओर से ठाकुर साहब दिलीप सिंह, कल्याणमल विद्यालय परिवार से सत्यनारायण शर्मा, प्रकाश सरपंच, भंवरलाल चतुर्वेदी, रेगर समाज से सुभाष, महेश्‍वरी समाज से रमेश पोरवाल, जगन्‍नाथ सिंह ने अपनी भावना अभिव्यक्‍त की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने बताया कि दुनिया की सबसे महँगी चीज ईमानदारी है।