अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-10 : क्या चारित्र की प्राप्ति तीर्थ स्थापना के बाद होती है?
उत्तर : तीर्थ स्थापना के बाद पाँच ही चारित्र हो सकते हैं। तीर्थ स्थापना से पूर्व सामायिक, सूक्ष्म संपराय व यथाख्यातइन तीन चारित्र की प्राप्ति हो सकती है।

प्रश्‍न-11 : क्या चारित्र सवेदी है?
उत्तर : सामायिक व छेदोपस्थापनीय सवेदी व अवेदी दोनों हैं। दोनों में वेद तीन ही हैं। परिहार विशुद्धि सवेदी-वेद-2 पुरुष व कृतनपुंसक।

प्रश्‍न-12 : चारित्र सरागी है या वीतरागी?
उत्तर : प्रथम चार चारित्र सरागी व यथाख्यात वीतरागी हैं। वे उपशम व क्षीण वीतरागी होते हैं।
(क्रमश:)